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Wednesday, 9 July, 2025
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आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में सुधार, सरसों में गिरावट

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नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) घरेलू तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को आयातित खाद्य तेलों के दाम में सुधार के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतें सुधार के साथ बंद हुईं, वहीं तेल-तिलहन कारोबार में पारदर्शिता लाने के मकसद से सरकार के बाजार हस्तक्षेप के कारण सरसों तेल-तिलहन के भाव गिरावट दर्शाते बंद हुए। नीरस व सुस्त कारोाबर के बीच मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल स्थिर बने रहे।

दोपहर 3.30 बजे मलेशिया एक्सचेंज सुधार दर्शाता बंद हुआ था जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मौजूदा सुधार या गिरावट को पिछले दिन के मुकाबले देखा जा रहा है लेकिन अगर समग्रता में पूरी स्थिति की समीक्षा करें तो पायेंगे कि सरसों के अलावा सोयाबीन, मूंगफली जैसे तेल-तिलहन के हौसले तो पस्त बने हुए हैं। सोयाबीन और मूंगफली के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 15-20 प्रतिशत नीचे चल रहे हैं। अब कभी इसमें एक-दो प्रतिशत का सुधार होना या गिरावट आना, बाजार की वास्तविक तस्वीर को पेश नहीं होने देता।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को सरसों की मांग और आपूर्ति की स्थिति को संतुलित करने की ओर अधिक ध्यान देना होगा क्योंकि इसकी फसल अब अगले साल फरवरी-मार्च में ही आयेगी। बाकी सोयाबीन, मूंगफली की खरीफ फसल भी अगले एक से दो महीने में आ जायेगी और इनकी हालत पहले से खराब चल रही है। इन देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित करने की ओर भी सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में सुधार रहने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम सुधार के साथ बंद हुए। इसी तरह सोयाबीन डीगम तेल की ओर नजर डालें तो पाते हैं कि आयातक पैसों की दिक्कत की वजह से इसे लागत से कम दाम पर बेच रहे हैं। इसके आयात की लागत 101 रुपये किलो के बराबर बैठती है और इसे 97.25 रुपये किलो के भाव बेचा जा रहा है। इस कमजोर दाम के अलावा सरसों तेल का दाम महंगा होने के कारण सोयाबीन तेल की मांग भी निकली है जिसके कारण सोयाबीन तेल-तिलहन में भी सुधार दिख रहा है।

सूत्रों ने कहा कि शुल्क मुक्त व्यापार की सुविधा के कारण नेपाल के रास्ते डालडा या वनस्पति खाद्य तेलों का आयात बढ़ रहा है। इससे निपटने के लिए सरकार को अन्य उपायों के अलावा इसका वितरण सीमावर्ती राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से करवाने पर विचार करना चाहिये।

सुस्त एवं नीरस कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम अपरिवर्तित बने रहे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,950-7,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,725-6,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,750 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,240-2,540 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 15,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,590-2,690 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,590-2,725 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,675 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,475 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,725 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 10,775 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,475 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,425 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,375-4,425 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,075-4,175 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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