(लक्ष्मी देवी ऐरे)
नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) स्मार्टफोन विनिर्माताओं को अपने उत्पादों की मरम्मत हो पाने की संभावना के बारे में जल्द ही जानकारी देना जरूरी हो सकता है। इससे उपभोक्ताओं के लिए उस उत्पाद को खरीदने के बारे में सही निर्णय कर पाना आसान होगा।
सरकार की बनाई एक समिति ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत क्षमता से संबंधित रेटिंग व्यवस्था शुरू करने की सिफारिश करने वाली एक रिपोर्ट शुक्रवार को पेश की।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव भरत खेरा की अगुवाई में गठित इस समिति ने उद्योग जगत और उपभोक्ता संगठनों के बीच बनी सहमति के बाद इस रूपरेखा को अंतिम रूप दिया।
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘कंपनियां लंबे समय तक चलने वाले उपकरण नहीं बना रही हैं। असल में, वे उपभोक्ताओं को दूसरा उत्पाद खरीदने को मजबूर कर रही हैं, क्योंकि उन्होंने उनके चलन से बाहर होने की योजना बना ली है। प्रौद्योगिकी ने अब उत्पादों को नाकाम बनाने और उनका जीवनकाल कम होना मुमकिन बना दिया है।’
उन्होंने कहा कि फोन एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत क्षमता से संबंधित सूचकांक लाने के पीछे मकसद यह है कि विनिर्माता मरम्मत से जुड़े परिवेश मुहैया कराने की अपनी जिम्मेदारी को लेकर संवेदनशील हों। इस सूचकांक के आधार पर उत्पादों को रेटिंग दी जाएगी ताकि उपभोक्ता उसके आधार पर निर्णय ले सकें।
खरे ने कहा, ‘समिति ने मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब मंत्रालय इन सिफारिशों की जांच करेगा और उसके हिसाब से कुछ दिशानिर्देश जारी करेगा।’
समिति के प्रमुख खेरा ने कहा कि यह व्यवस्था अपने पहले चरण में स्मार्टफोन और टैबलेट को कवर करेगी। इसके अगले चरण में लैपटॉप, डेस्कटॉप और अन्य उत्पाद शामिल हो सकते हैं।
समिति ने पांच-बिंदु वाले रेटिंग पैमाने की सिफारिश की है जिसे बिक्री केंद्रों, पैकेजिंग और वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए। इस रेटिंग की घोषणा के लिए उपकरण विनिर्माता जिम्मेदार होंगे।
मोबाइल फोन की रेटिंग कई मापदंडों पर आधारित होगी जिसमें डिस्प्ले स्क्रीन, बैटरी, कैमरा, चार्जिंग पोर्ट और स्पीकर जैसे प्रमुख घटकों की मरम्मत की क्षमता, खोलने में आसानी, कलपुर्जों की उपलब्धता और सॉफ्टवेयर अपडेट की नीतियां शामिल हैं।
खेरा ने कहा, ‘यदि कोई सेवा संतोषजनक है, तो उसे पांच की रेटिंग मिलेगी जबकि मध्यम स्तर का होने पर तीन रेटिंग मिलेगी।’
यूरोपीय संघ, अमेरिका और फ्रांस में भी ऐसे मानक मौजूद हैं, जबकि अन्य देश ऐसे उपायों को लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘भारत एक महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था है, इसलिए इसे पीछे नहीं छोड़ा जा सकता था।’
चीन के बाद भारत स्मार्टफोन के लिए दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।
फिलहाल फीचर फोन को इस रेटिंग से बाहर रखने का प्रस्ताव है लेकिन आगे चलकर इसका दायरा धीरे-धीरे बढ़ सकता है।
उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय दिशा-निर्देश जारी करने से पहले सिफारिशों की जांच करेगा।
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