मुंबई, आठ अप्रैल (भाषा) देश के शीर्ष बैंक अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नीति समीक्षा में समायोजन के उपायों को वापस लेने का संकेत दिया गया है, और महंगाई पर ध्यान केंद्रित करना ‘व्यावहारिक’ है, जो कीमतों में बढ़ोतरी पर केंद्रीय बैंक की चिंता को दर्शाता है।
उन्होंने बैंकों के बीच पारस्परिक रूप से कार्ड-रहित निकासी की अनुमति देने जैसे फैसलों का भी स्वागत किया।
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा, ‘‘आरबीआई की मौद्रिक नीति की घोषणा वर्तमान अनिश्चित आर्थिक वातावरण का एक व्यावहारिक मूल्यांकन है। आरबीआई ने वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच सही ढंग से तालमेल बैठाया है और बिना किसी बाधा के सरकारी उधारी कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए कई उपायों की घोषणा की है।’’
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के अध्यक्ष और पंजाब नेशनल बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक ए के गोयल ने कहा कि समीक्षा से लगता है कि आरबीआई कीमतों को लेकर चिंतित है।
उन्होंने कहा कि स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) शुरू करने का फैसला बाजार के लिए सकारात्मक है, जो सरकार के बड़े उधार कार्यक्रम को भी मदद करेगा।
सिटी बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशु खुल्लर ने कहा कि नीति समीक्षा से संकेत मिलता है कि हम परिचालन के लिहाज से सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं और इससे मुद्रास्फीति प्रबंधन में बदलाव का संकेत भी मिलता है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड के संचालन प्रमुख जरीन दारूवाला ने कहा कि इससे व्यापक आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा और रुपये को मजबूत करने में भी मदद मिलेगी।
भाषा पाण्डेय रमण
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