मुंबई, 15 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय उद्योग एवं व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को घरेलू दवा उद्योग से ‘जेनेरिक’ औषधियों में खुद को मजबूत बनाने और दवाओं के कच्चे माल एवं उत्पादन के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने को कहा।
जेनेरिक दवाओं से आशय वैसी आषधियों से हैं, जिसका पेटेंट समाप्त होने के बाद मूल कंपनी के अलावा अन्य कंपनियों को उसे बनाने की अनुमति होती है और अपेक्षाकृत सस्ती होती हैं।
गोयल ने भारतीय दवा विनिर्माता संघ के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि फार्मा उद्योग को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी चुनौतियां का सामना करने के लिए एक दीर्घकालिक योजना बनाकर चलना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘पिछले दस वर्षों में देखी गई जबरदस्त वृद्धि को आगे भी बनाए रखना चाहिए ताकि हम आत्म-निर्भर बन सकें। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के बारे में कुछ पूर्वानुमान लगा पाना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। चुनौतियों का दायरा कल्पना से भी अधिक गंभीर होता जा रहा है।’
गोयल ने कहा कि ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि हम न केवल जेनरिक दवाओं के क्षेत्र में अपनी मजबूती पर ध्यान दें बल्कि अपने कच्चे माल एवं उत्पादन के बीच तालमेल को भी बनाए रखें।
उन्होंने कहा, ‘हमें लंबे समय में अधिक-से-अधिक आत्म-निर्भर बनने की योजना बनानी चाहिए। इस तरह हम दुनिया के सामने ताकतवर देश के विश्वास के साथ जाएंगे और अपने उद्योग के बेहतर भविष्य के लिए दुनिया के साथ समान शर्तों पर काम करेंगे।’
गोयल ने कहा कि भारत को दुनिया के स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र का संरक्षक बनने का इरादा लेकर चलना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हरेक देश अपने प्रमुख उद्योग को संरक्षण देता है और मेरा मानना है कि हमारे लिए यह प्रमुख उद्योग फार्मा है।’
उन्होंने दवा निर्माण में कच्चे माल के तौर पर इ्स्तेमाल होने वाले अवयवों एवं चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण के लिए सरकार की तरफ से लाई गई उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि फार्मा उद्योग के कई विनिर्माता इस योजना का फायदा उठा रहे हैं।’
गोयल ने कहा कि कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने से भारतीय दवा उत्पादों के लिए दुनिया भर में आसानी से मंजूरी पाने के रास्ते खुलेंगे।
भाषा
प्रेम रमण
रमण
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