नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) घरेलू फार्मास्युटिकल्स (दवा) उद्योग को आगामी आम बजट से काफी उम्मीदें हैं। उद्योग का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2022-23 के बजट में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाने, शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन और विभिन्न दवाओं पर कर छूट को जारी रखने जैसे कदम उठाएंगी।
इसके अलावा उद्योग विभिन्न प्रक्रियाओं का सरलीकरण भी चाहता है, जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए कारोबार सुगमता की स्थिति बेहतर हो सकेगी।
भारतीय फार्मास्युटिकल्स उत्पादकों के संगठन (ओपीपीआई) के अध्यक्ष एस श्रीधर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन सकल घरेलू उत्पाद के मौजूदा 1.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5 से तीन प्रतिशत किया जाना चाहिए। इसके अलावा जैव-फार्मास्युटिकल क्षेत्र में शोध एवं विकास के लिए अलग से आवंटन किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि बीते साल उद्योग ने उल्लेखनीय रफ्तार दर्ज की। विशेषरूप से कोविड-19 का टीका और दवाएं उपलब्ध कराने में उद्योग आगे रहा। श्रीधर ने कहा कि इस साल का बजट उद्योग की वृद्धि को जारी रखने और सिर्फ कोविड ही नहीं अन्य बीमारियों के लिए नवोन्मेषी स्वास्थ्य समाधानों तक पहुंच की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को दवाओं पर सीमा शुल्क छूट को जारी रखना चाहिए। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है, तो मौजूदा परिदृश्य में इस तरह की दवाओं को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि विरले प्रकार के रोगों के लिए नवोन्मेषी दवाओं पर आयात शुल्क छ्रट पर विचार किया जाना चाहिए।
इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, ‘‘फार्मा क्षेत्र में कारोबार सुगमता की स्थिति को सुगम करने के लिए अतिरिक्त उपाय किए जाने चाहिए। प्रक्रियाओं को सरल और उद्योग के अनुकूल किया जाना चाहिए। साथ ही अड़चनों को दूर करने और निवेश को प्रोत्साहन के कदम उठाए जाने चाहिए।’’
भाषा अजय अजय पाण्डेय
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