नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) शीर्ष उपभोक्ता शिकायत निपटान संस्था एनसीडीआरसी ने ‘मैगी’ मामले में दैनिक उपभोग के सामान बनाने वाली कंपनी नेस्ले से 640 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगने वाली सरकार की याचिका खारिज कर दी है।
सरकार ने वर्ष 2015 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष आरोप लगाया था कि नेस्ले खतरनाक और दोषपूर्ण मैगी नूडल्स के उत्पादन और सार्वजनिक बिक्री की अनुचित व्यापार व्यवहार में लिप्त थी।
एनसीडीआरसी ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से दायर दो याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें 284.55 करोड़ रुपये के मुआवजे और 355.41 करोड़ रुपये के दंडात्मक हर्जाने की मांग की गई थी।
नेस्ले के लोकप्रिय नूडल्स उत्पाद मैगी पर जून, 2015 में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कथित तौर पर स्वीकार्य सीमा से अधिक सीसा होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद सरकार ने एनसीडीआरसी का रुख किया था, जिससे नेस्ले को बाजार से उत्पाद वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
उपभोक्ता आयोग से मिली राहत की नेस्ले ने शेयर बाजारों को सूचना दी है। उसने कहा, ‘‘भारत सरकार, उपभोक्ता मामले विभाग की एनसीडीआरसी के समक्ष 2015 में दायर शिकायत को आयोग ने दो अप्रैल, 2024 के अपने आदेश के तहत कंपनी के पक्ष में खारिज कर दिया।’’
सरकार ने मैगी मामले में पहली बार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12-1-डी के तहत कार्रवाई की थी। इस धारा के तहत केंद्र और राज्य दोनों को ही शिकायत दर्ज करने की शक्ति मिली हुई है।
खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई ने मैगी नूडल्स के नमूनों में सीसे की अधिक मात्रा पाए जाने के बाद इसे मानव उपभोग के लिए ‘असुरक्षित और खतरनाक’ बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
हालांकि, पांच महीने बाद ही मैगी नवंबर, 2015 में बाजार में दोबारा आ गई थी।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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