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रविवार, 8 जून, 2025
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उप्र की प्रति व्यक्ति आय दूसरे सबसे निचले स्तर पर, लेकिन वित्तीय स्थिति अच्छी: वित्त आयोग प्रमुख

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(तस्वीरों के साथ)

लखनऊ, चार जून (भाषा) सोलहवें वित्त आयोग के प्रमुख अरविंद पनगढ़िया ने बुधवार को कहा कि देश में दूसरी सबसे कम प्रति व्यक्ति आय होने के बावजूद उत्तर प्रदेश वित्तीय स्थिति के मामले में भारत के सबसे बेहतर प्रबंधन वाले राज्यों में से एक बनकर उभरा है।

पनगढ़िया ने यहां लोक भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वित्त आयोग के दौरे के दौरान उत्तर प्रदेश के आर्थिक सुधारों, जनसांख्यिकीय रुझानों, राजकोषीय प्रदर्शन और उपलब्धियों से अवगत कराया गया।

उन्होंने कहा कि आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से भी बात की।

पनगढ़िया ने कहा, ‘कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश एक अच्छा राज्य है। सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुपात में इसका कर संग्रह देश में सबसे अधिक है। वास्तव में, हम चाहेंगे कि अन्य राज्य भी जीएसडीपी के अनुपात में उत्तर प्रदेश की तरह कर संग्रह करने में सक्षम हों। इससे अन्य राज्यों की राजस्व समस्याओं को हल करने में मदद मिलेगी।’

उन्होंने अपने व्यय को बजट के भीतर रखने और एक स्वस्थ ऋण प्रोफाइल बनाए रखने के लिए भी उत्तर प्रदेश की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा, ‘इसके व्यय भी अच्छी तरह से डिजाइन किए गए हैं और इसके बजट के भीतर हैं। इसके राजकोषीय घाटे सामान्य सीमाओं के भीतर हैं।’

उन्होंने कहा, ‘वित्त के मामले में उत्तर प्रदेश को दोहरा लाभ है। पहला, इसका अपना कर संग्रह अच्छा है। दूसरा, वित्त आयोग परंपरागत रूप से क्षैतिज हस्तांतरण में कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों को अधिक महत्व देते हैं।’

बिहार के बाद उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के जिम्मेदार वित्तीय प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘अच्छे वित्त को भी बर्बाद किया जा सकता है, लेकिन उप्र के मामले में ऐसा नहीं है। इसने अपने वित्त का विवेकपूर्ण प्रबंधन किया है।’

उन्होंने कहा, ‘इसका ऋण-जीडीपी अनुपात भी प्रबंधनीय स्तरों के भीतर है। यह निश्चित रूप से इसके वित्त को थोड़ा अधिक सुविधाजनक बनाता है क्योंकि यदि आपके पास बहुत बड़ा ऋण है, तो आपके व्यय का एक बड़ा हिस्सा उस ऋण के ब्याज भुगतान में चला जाता है।’

पनगढ़िया ने चेतावनी दी कि उच्च ऋण स्तर वाले राज्य भविष्य के प्रशासन पर बोझ बनने का जोखिम उठाते हैं।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने 28 राज्यों में से अधिकांश की तरह वित्त आयोग से कर राजस्व में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी की मांग की है, जो वर्तमान में 41 प्रतिशत से अधिक है। राज्य ने लक्षित विकास योजनाओं के लिए एक विशेष निधि की भी मांग की है।

भारत के 16वें वित्त आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत 31 दिसंबर, 2023 को किया गया था। इसका प्राथमिक कार्य एक अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए केंद्र और राज्यों के साथ राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण की सिफारिश करना है।

आयोग की तरफ से 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट पेश किये जाने की संभावना है। इसकी सिफारिशें वर्ष 2026-27 से 2030-31 तक के लिए होंगी।

भाषा किशोर जफर

अमित प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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