नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में त्योहारों के कारण मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन तथा कमजोर उपलब्धता एवं सस्ता होने के बीच मांग बढ़ने से बिनौला तेल कीमतों में मजबूती रही।
तेल पेराई मिलों की मांग कमजोर पड़ने से सोयाबीन तेल-तिलहन, मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट रहने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम हानि दर्शाते बंद हुए। सरसों की पाइपलाइन खाली रहने तथा आवक बढ़ने के बीच सरसों तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट का रुख है। दूसरी ओर, शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात भी सुधार था और फिलहाल भी यहां सुधार जारी है।
बाजार सूत्रों के अनुसार, आयात करने में बिनौला तेल के दाम से सूरजमुखी तेल का दाम 10 रुपये किलो और पामोलीन तेल का दाम 4-5 रुपये किलो ऊंचा बैठता है। ऐसी परिस्थिति में सूरजमुखी और पामोलीन तेल कौन आयात करेगा ? इस स्थिति की वजह से सूरजमुखी और पामोलीन तेल का आयात कम हुआ है और बिनौला तेल की मांग बढ़ी है। दूसरी ओर, कपास (जिससे बिनौला सीड प्राप्त किया जाता है) का उत्पादन एवं उपलब्धता कम है और अगली फसल आने में लगभग सात महीने का समय है। इन वजहों से बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली के मामले में देखा जा रहा है कि किसान पहले से ही मूंगफली को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 15-17 प्रतिशत नीचे दाम पर बेच रहे हैं। इस बीच, कुछ त्योहारों की मांग भी निकली है जिससे मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार है।
उन्होंने कहा कि आयात करने में सोयाबीन डीगम तेल का भाव 1,092 डॉलर प्रति टन बैठता है जबकि सूरजमुखी तेल का भाव 1,230 डॉलर प्रति टन है और सीपीओ का भाव 1,190 डॉलर प्रति टन बैठता है। ऐसे में सूरजमुखी और सीपीओ कैसे और कहां खपेगा? इन तेलों के दाम सरसों और सोयाबीन से काफी अधिक हैं तो कौन इन्हें खरीदना चाहेगा?
सूत्रों ने कहा कि पिछले दो-तीन वर्षो से तेल-तिलहन बाजार की उठापटक के बीच तेल-तिलहन के छोटे उद्योग, आयातकों आदि की हालत जर्जर हो चली है और पूंजी की कमी के बीच उनके स्टॉक करने की क्षमता खत्म हो चली है। सरकार को एक सर्वे कराकर इस अफवाह की पुष्टि करना चाहिये कि क्या सही में छोटे तेल-तिलहन उद्योग और आयातकों का लगभग 80-85 प्रतिशत हिस्सा बर्बादी के कगार पर है? ऐसे में उनके द्वारा बैकों से लिए गये कर्ज के भरपाई की क्या स्थिति है? अगर इस बात में कोई सचाई है तो यह तेल-तिलहन उद्योग की आत्मनिर्भरता और रोजगार की चिंताओं को बढ़ा सकता है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,100-6,200 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 5,600-5,925 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,340-2,440 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,340-2,465 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,550 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,100-4,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 3,800-3,850 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
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