नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) संसद की एक समिति ने सरकार से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वित्तीय बाधाओं को दूर करने को नये और कुछ अलग उपाय टटोलने को कहा है। इन उपायों में हरित बैंक का गठन और वित्तीय संस्थानों के लिये नवीकरणीय वित्त को लेकर बाध्यताएं आदि शामिल हैं।
ऊर्जा पर संसद की स्थायी समिति ने बृहस्पतिवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘चूंकि वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा के वित्तपोषण के लिये हरित बैंक एक अनूठे उपाय के रूप में उभरा है, ऐसे में सरकार को ऐसी व्यवस्था स्थापित करने पर विचार करना चाहिए। यह देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वित्तपोषण संबंधी चुनौतियों का समाधान कर सकता है।’’
रिपोर्ट में इस बात पर गौर किया गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी कंपनियों के लिये कर्ज की जरूरत और वित्तीय लागत कम करने की बड़ी आवश्कता है। समिति ने इसको ध्यान में रखते हुए सुझाव दिया है कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय नवीकरणीय ऊर्जा खरीद बाध्यता (आरपीओ) की तरह बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिये स्वच्छ ऊर्जा को लेकर वित्तपोषण की बाध्यता की संभावना टटोल सकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा के लिये वित्तपोषण बाध्यता से वित्तीय संस्थानों को अपने निवेश का एक हिस्सा स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में लगाना होगा।
समिति ने यह भी सुझाव दिया कि मंत्रालय को स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र के लिये बुनियादी ढांचा विकास कोष (आईडीएफ), बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट), वैकल्पिक निवेश फंड, ग्रीन / मसाला बांड आदि जैसे वित्तपोषण के नये और वैकल्पिक स्रोतों का पता लगाने के लिये सक्रियता के साथ काम करना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं के तहत लगभग 17 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश की परिकल्पना की गई है। इसमें संबंधित पारेषण लागत शामिल है। देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सालाना 1.5 से दो लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी जबकि पिछले कुछ साल में यह केवल 75,000 करोड़ रुपये ही था।
समिति ने कहा कि वित्तपोषण अंतर को भरना एक बड़ा काम होगा जिसके लिए सरकार को एक सक्षम ढांचा तैयार करने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि इरेडा ( भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी) को राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी), सिडबी (लघु उद्योग विकास बैंक) और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास बैंक) जैसे विशेषीकृत वित्तीय संस्थानों की तरह रिजर्व बैंक से रेपो दर पर कर्ज लेने को लेकर विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए सस्ता कर्ज सुनिश्चित हो सकेगा।
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रमण अजय
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