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Tuesday, 19 November, 2024
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‘रात के समय की अर्थव्यवस्था’ को समर्थन के लिए समानांतर व्यवस्था की जरूरत : रेस्तरां मालिक

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नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) राजधानी के रेस्तरां मालिकों ने कहा है कि ‘रात के समय की अर्थव्यवस्था’ (नाइट-टाइम इकनॉमी) को समर्थन देने के लिए दिल्ली में रात में सिर्फ खान-पान की दुकानों को खोलने की अनुमति देना काफी नहीं होगा, बल्कि एक समानांतर व्यवस्था बनाने की जरूरत होगी।

उन्होंने कहा कि खान-पान की दुकानों के साथ ही कार्यालयों तथा सिनेमाघरों को भी देर रात तक खोलने की व्यवस्था की जानी चाहिए, तभी ग्राहक बाजार में आएंगे।

रेस्तरां मालिकों ने साथ ही राज्य सरकार को देर रात में सुरक्षा को सुनिश्चित करने को एक योजना तैयार करने का भी सुझाव दिया है।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हाल में पेश वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में क्लाउड किचन के लिए जमीन उपलब्ध कराने, प्रमुख खाद्य केंद्रों के पुनर्विकास और राज्य में फूड-ट्रक नीति शुरू करने जैसे उपायों की घोषणा की है।

सरकार की नई आबकारी नीति के तहत होटल, क्लब और रेस्तरां में ‘बार’ को देर रात तक खोलने की अनुमति देने की योजना है।

इसी संबंध में दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक लोकप्रिय खान-पान की दुकान में काम करने वाले करण श्रीवास्तव ने कहा कि दुकानें देर रात तक तभी खुली रहेंगी, जब कारोबार करने की कोई गुंजाइश होगी।

उन्होंने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्यालय और सिनेमा हॉल भी देर रात तक खुले रहें ताकि ग्राहकों का आना जाना लगा रहे और खाना बर्बाद न हो।

वहीं आईटीओ इलाके में एक स्टॉल चलाने वाले मदन तनेजा ने कहा कि दुकानों को तभी फायदा होगा जब देर रात में भी ग्राहक आएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘देर रात में आमतौर पर ज्यादा ग्राहक नहीं आते। इसलिए दुकानों को ज्यादा रात तक खोलने का कोई फायदा नहीं है। अगर सरकार कार्यालयों और शॉपिंग मॉल तथा सिनेमा हॉल को देर रात तक खुलने की अनुमति देती है, तभी ग्राहक आएंगे।’’

इसके अलावा अलग-अलग तरह के व्यंजन बेचने वाले ‘मूलचंद परांठा’ रेस्तरां के मालिक दीपक खट्टर ने कहा, ‘‘हम सुबह छह बजे काम शुरू कर देते है और रात 11:30 बज तक करते हैं। अगर हमें देर रात तक रेस्तरां चलाने की अनुमति मिलती है तो हमें अपने काम करने के तरीके में कुछ बदलाव करने होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देर रात तक काम करने के लिए हम नयी पाली की व्यवस्था करनी पड़ेगी। साथ ही उचित सुरक्षा उपकरण भी रखने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि आसपास रहने वाले लोगों को कोई परेशानी न हो।’’

भाषा जतिन अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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