नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) चित्रा रामकृष्ण के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) प्रमुख रहते उनके ऊपर अज्ञात ‘हिमालय में रहने वाले योगी’ के प्रभाव की बात को लेकर सोशल मीडिया पर एनएसई निदेशक मंडल के पूर्व सदस्य टी वी मोहन दास पई और बायोकॉन की कार्यकारी चेयरपर्सन किरण मजूमदार-शॉ के बीच तीखी नोक-झोंक हुई है। शॉ ने मामले में आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्या एक्सचेंज में गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने की कोई व्यवस्था नहीं थी।
दोनों शख्सियतें विभिन्न मुद्दों पर बेबाक राय के लिये जानी जाती हैं। बाजार नियामक सेबी के एनएसई मामले में 190 पृष्ठ के आदेश के कुछ दिनों बाद वे ट्विटर पर आपस में भिड़ते दिखे। सेबी ने अपने आदेश में अन्य बातों के अलावा यह कहा है कि एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी चित्रा रामकृष्ण पर हिमालय की पहाड़ों में रहने वाले ‘आध्यात्मिक गुरु’ का प्रभाव था।
सेबी के आदेश से जुड़े एक लेख का लिंक साझा करते हुए मजूमदार-शॉ ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘एक योगी देश के बड़े शेयर बाजार को कठपुतली की तरह चलाता रहा: नियामक। वैश्विक स्तर के शेयर बाजार कहे जाने वाले एनएसई में संचालन व्यवस्था की खामियों को देखकर आहत हूं…क्या वहां गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने की कोई व्यवस्था नहीं थी?’’
सेबी के 11 फरवरी के आदेश के बाद ट्वीट 13 फरवरी को किया गया।
मजूमदार-शॉ के ट्वीट के जवाब में पई ने 14 फरवरी को लिखा कि किसी को झूठ फैलाना बंद कर देना चाहिए और कोई योगी एक्सचेंज नहीं चलाता।
उन्होंने लिखा, ‘‘कोई योगी एनएसई को नहीं चलाता। झूठ फैलाना बंद करें। क्या आपको वाकई में लगता है कि दुनिया के बड़े शेयर बाजारों में से एक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से युक्त एनएसई को कोई संदिग्ध योगी चला सकता है? आप उन सभी महान कर्मचारियों का अहित कर रही हैं जिन्होंने 24 घंटे एनएसई इंडिया में काम किया।’’
पई इन्फोसिस के साथ-साथ एनएसई के निदेशक मंडल के भी सदस्य रहे हैं।
मजूमदार-शॉ ने 15 फरवरी को पई के ट्वीट का जवाब दिया और आश्चर्य जताया कि क्या सेबी की रिपोर्ट कबाड़ में फेंक देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘तो हमें सेबी रिपोर्ट में कबाड़ में फेंक देना चाहिए। एनएसई के कर्मचारी निर्दोष थे। लेकिन अगर वास्तव में चित्रा रामकृष्ण ने किसी बाहरी व्यक्ति के साथ साठगांठ की है तो यह खतरनाक रूप से चौंकाने वाली बात है।’’
मजूमदार-शॉ ने कुछ अन्य को भी ट्विटर पर जवाब दिये।
रामकृष्ण और ‘आध्यात्मिक गुरु’ का मामला सेबी के एनएसई के पूर्व प्रमुख और अन्य के खिलाफ आदेश का हिस्सा है। यह मामला आनंद सुब्रमण्यम को मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्ति और उनका पदनाम बदलकर समूह परिचालन अधिकारी तथा प्रबंध निदेशक के सलाहकार किये जाने में कंपनी संचालन में खामियों से जुड़ा है।
सेबी के आदेश के अनुसार, अप्रैल, 2013 से दिसंबर, 2016 तक एनएसई की एमडी एवं सीईओ पद पर रहीं रामकृष्ण कथित तौर पर हिमालय में रहने वाले इस योगी को ‘शिरोमणि’ कहकर बुलाती रही हैं। इसके बारे में एनएसई के पूर्व प्रमुख का दावा है कि वह हिमालय की पहाड़ियों में रहते हैं और 20 साल से व्यक्तिगत और पेशेवर मामले में सलाह देते रहे हैं।
भाषा
रमण अजय
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