नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक उच्चस्तरीय समिति ने पीएसीएल की गैरकानूनी योजनाओं के निवेशकों से ‘रिफंड’ के लिए मूल पंजीकरण प्रमाणपत्र देने को कहा है। निवेशकों से कहा गया है कि वे समिति से एसएमएस मिलने के बाद 30 जून तक मूल पंजीकरण प्रमाणपत्र जमा कराएं।
यह सिर्फ उन निवेशकों के लिए है जिनका रिफंड का दावा 10,001 से 15,000 रुपये तक है और जिनके आवेदनों का सत्यापन हो चुका है।
सेबी की ओर से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है, ‘‘मूल प्रमाणपत्र को स्वीकार करने की ‘सुविधा’ एक अप्रैल, 2022 से 30 जून, 2022 तक खुली रहेगी।’’
बाजार नियामक ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढ़ा की अगुवाई में एक समिति का गठन किया है। उच्चतम न्यायालय ने पीएसीएल समूह के मामले में निवेशकों का पैसा लौटाने का निर्देश दिया था जिसके बाद समिति का गठन किया गया है।
समिति निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए पीएसीएल समूह की संपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया को देख रही है। साथ ही समिति इस बात पर भी गौर कर रही है कि दावा करने वाला व्यक्ति वास्तव में निवेश करने वाला है या नहीं। समिति ने चरणबद्ध तरीके से रिफंड की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है।
पीएसीएल को पर्ल समूह के नाम से भी जाना जाता है। समूह ने कृषि और रियल एस्टेट कारोबार के नाम पर जनता से पैसा जुटाया था। सेबी की जांच में यह तथ्य आया था कि समूह ने 18 साल की अवधि में गैरकानूनी सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के जरिये निवेशकों से 60,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं।
लोढ़ा समिति ने एक बयान में कहा कि उसने 10,001 से 15,000 रुपये तक के रिफंड दावे वाले निवेशकों से मूल पंजीकरण प्रमाणपत्र मांगने का फैसला किया है। ये प्रमाणपत्र उन निवेशकों से मांगे गए हैं जिनके आवेदन का सफलतापूर्वक सत्यापन हो चुका है।
भाषा अजय अजय रमण
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