नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) भारतीय एल्युमिनियम संघ (एएआई) ने सरकार से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए कहा है कि एल्युमिनियम क्षेत्र के तहत (कैप्टिव) बिजली संयंत्रों के पास फिलहाल तीन-चार दिन का ही कोयला भंडार बचा है जिससे बंदी का खतरा मंडरा रहा है।
एल्युमिनियम उद्योग ने आर्थिक रूप से व्यवहार्य एवं टिकाऊ परिचालन के लिए कम-से-कम 25-30 कोयला रैक प्रतिदिन मुहैया कराने की मांग सरकार से की है।
एएआई ने कोयला सचिव को लिखे एक पत्र में कहा है कि बिजली संयंत्रों को पेश आ रही कोयले की किल्लत को तत्काल दूर करने के कदम उठाने की जरूरत है।
संगठन ने कहा, ‘‘एल्युमिनियम उद्योग के खुद के इस्तेमाल वाले बिजली संयंत्रों (सीपीपी) के पास सिर्फ तीन-चार दिन का ही कोयला भंडार रहता है, जबकि इसकी निर्धारित सीमा 15 दिनों के इस्तेमाल लायक कोयले की है।’’
एएआई ने कहा कि कोयले की उपलब्धता बेहतर होने के बावजूद गैर-नियमित क्षेत्रों के लिए कोयला की उपलब्ध नहीं होना चिंता का एक बड़ा मुद्दा है।
अगस्त, 2021 से ही गैर-नियमित क्षेत्रों को कोयले की निर्बाध आपूर्ति मिलने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा समय में उन्हें जरूरी कोयले का 40-50 फीसदी ही मिल पा रहा है।
एएआई ने कहा, ‘‘उपलब्ध कोयले का एक बड़ा हिस्सा बिजली क्षेत्र को ही भेज दिए जाने से हमारे लिए 6,000 से अधिक रैक का ‘बैकलॉग’ हो गया है।’’ इसके उलट बिजली क्षेत्र के पास उपलब्ध कोयला भंडार सितंबर-अक्टूबर 2021 में दस दिनों का हो गया जो पहले दो-तीन दिन का ही होता था।
ऐसी स्थिति में एएआई ने कहा कि एल्युमिनियम उद्योग को बंदी से बचाने के लिए सरकार को फौरन दखल देना चाहिए ताकि कोयला रैक की उपलब्धता अवधि को बढ़ाया जा सके।
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प्रेम अजय
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