गुवाहाटी, 27 मई (भाषा) ओएनजीसी की असम एसेट से जुड़े कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन धरने का मंगलवार को एक सप्ताह पूरा हो गया लेकिन भर्ती प्रक्रिया दोबारा शुरू करने, ओवरटाइम भत्ता बहाल करने और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने जैसी मांगों का कोई तात्कालिक समाधान नहीं नजर आ रहा है।
सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के पूर्वांचल कर्मचारी संघ (ओपीईए) ने कुछ दिन तक काली पट्टी पहनकर विरोध करने के बाद 21 मई से शिवसागर जिले के नाज़िरा में स्थित असम में कंपनी के मुख्यालय में धरना शुरू किया था। अब इस धरने के एक सप्ताह पूरे हो चुके हैं।
हालांकि, कर्मचारी संघ ने कहा कि इस धरने से अभी तक कंपनी के संचालन पर कोई असर नहीं पड़ा है।
ओपीईए के महासचिव संजीव बरुआ ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमारा मुख्य ध्यान भर्ती प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने पर है। आजकल सारा काम निजी कंपनियों को दे दिया जा रहा है। प्रबंधन के इस फैसले से हमारे स्थानीय युवा नौकरी के अवसरों से वंचित हो रहे हैं।’’
बरुआ ने कहा कि हजारों पद रिक्त होने के बावजूद कंपनी प्रबंधन ने 2023 से भर्ती प्रक्रिया रोक दी है, जिससे परिचालन पर गंभीर असर पड़ रहा है और असम के युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले महीने जब हमने अपने आंदोलन कार्यक्रम की घोषणा की थी तो उसके बाद ओएनजीसी मुख्यालय से एक टीम असम आई थी और 29 अप्रैल को हमसे बातचीत की। हालांकि, इस गतिरोध का समाधान नहीं हो सका।’’
इस बारे में संपर्क किए जाने पर ओएनजीसी असम एसेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह कर्मचारी संघ और प्रबंधन के बीच का आंतरिक मामला है।
इस बीच, बरुआ ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कंपनी उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है तो कर्मचारी संघ ‘भूख हड़ताल’ के अगले चरण पर जाएगा, जिसके बाद काम बंद हड़ताल होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यूनियन ने भूख हड़ताल के लिए पहले ही नोटिस दे दिया है। हमें उम्मीद है कि प्रबंधन उससे पहले हमारी जायज मांगों को सुनेगा।’’
कर्मचारी संघ ने तीन घंटे के ओवरटाइम भत्ते की व्यवस्था फरवरी, 2025 में अचानक वापस लिए जाने का मुद्दा भी उठाया है। इसके अलावा ओपीईए ने फील्ड ऑपरेटरो और पैरामेडिकल कर्मचारियों को नियमित करने की भी मांग की है।
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