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Thursday, 3 October, 2024
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विदेशों में महंगा होने के कारण तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

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नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (भाषा) रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विदेशी बाजारों में तेजी के माहौल रहने के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों, सोयाबीन, पामोलीन, सीपीओ, मूंगफली सहित लगभग सभी तेल-तिलहन की कीमतों में सुधार देखने को मिला। बाकी तेल-तिलहनों के भाव पूर्व-स्तर पर बंद हुए।

सूत्रों ने बताया कि विदेशी बाजारों में तेजी के माहौल के बीच युद्ध के कारण सूरजमुखी जैसे तेलों की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। खाद्य तेलों की कमी रहने के बीच लगभग सभी खाद्यतेलों की मांग बढ़ी है और इसका सीधा असर कीमतों पर दिख रहा है। जंग के माहौल के बीच सूरजमुखी, रेपसीड, मक्का जैसी फसलों की बुआई प्रभावित होने के आसार हैं जिससे आगे जाकर खाद्यतेलों के मामले में संकट और बढ़ सकता है। इसलिए इन समस्याओं से बाहर निकलने के एक रास्ता घरेलू स्तर पर तेल तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही हो सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों की यह राय हो सकती है कि खाद्यतेलों की जमाखोरी रोकने के लिए छापेमारी कारगर कदम साबित होगा। लेकिन इस अहम बात की ओर ध्यान देने की जरुरत है कि कोई भी कारोबारी मनमाफिक मात्रा में सोयाबीन, पामोलीन जैसे खाद्य तेलों का आयात कर सकता है और देशी तेलों के दाम आयातित तेलों के मुकाबले सस्ते हैं। ऐसे में कोई आयातित तेलों की जमाखोरी करने की जहमत क्यों उठायेगा?

सूत्रों ने कहा कि इस छापेमारी के बजाय अगर बड़ी कंपनियों के द्वारा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की निगरानी करने के लिए दल बनाकर नियमित जांच करवाई जाए तो वह एक अधिक कारगर कदम होगा और उपभोक्ताओं को इसका सीधा फायदा मिलेगा।

सूत्रों ने कहा कि इस बार सरसों की आवक भी कम हो रही है और ज्यादातर किसान इसे सही कीमत मिलने के इंतजार में अपने पास स्टॉक कर रहे हैं। पिछले साल अप्रैल में सरसों की आवक 10-12 लाख बोरी की थी जो इस बार घटकर लगभग पांच लाख बोरी ही रह गई है।

सूत्रों ने कहा कि एमआरपी की जांच जारी रखी जाये तो बहुत सी समस्या अपने आप सुलझ जायेगी। छापेमारी से बाजार में बेवजह डर का माहौल बनेगा और इससे अपेक्षित परिणाम मिलने की संभावना भी कम है।

सूत्रों ने कहा कि इतिहास में संभवत: पहली बार सरसों की रिकॉर्ड पेराई हो रही है क्योंकि यह अभी सबसे सस्ता है। हरियाणा सहित कई राज्यों में प्रचूर मात्रा में सरसों से रिफाइंड बनाये जा रहे हैं। ऐसा मौका आया है जब सरसों तेल और सरसों रिफाइंड का भाव पामोलीन तेल से भी कम है। पामोलीन का भाव 162 रुपये किलो है जबकि सरसों तेल का भाव 150 रुपये किलो और सरसों रिफाइंड का भाव 154 रुपये किलो है। सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा बडी तेल कंपनियां विदेशों से किलो के भाव खरीदती हैं और यहां उसी तेल को लीटर के भाव (यानी प्रतिकिलो के 1,000 ग्राम के स्थान पर 912 ग्राम) पर बेचती हैं।

सूत्रों के मुताबिक, आयातित तेलों के मुकाबले देशी तेल कहीं सस्ते हैं और इसलिए देशी तेलों की मांग है। आयातित तेलों के भाव ऊंचा होने के कारण देशी तेल तिलहनों की खपत बढ़ रही है। मांग और आपूर्ति का अंतर 60 बनाम 40 प्रतिशत का है और आयात के बगैर मांग की पूर्ति संभव नहीं है, इसलिए कीमतों में सुधार है।

बाकी तेल तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,490-7,540 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,800 – 6,895 रुपये प्रति क्विन्टल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,750 रुपये प्रति क्विन्टल।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,610 – 2,800 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,370-2,445 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,420-2,520 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 16,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 16,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 15,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 15,600 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 16,250 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 15,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 7,775-7,825 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 7,475-7,575 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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