नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) विदेशी बाजारों की निर्यात मांग के कारण देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में सुधार आया। वहीं गर्मियों की वजह से स्थानीय मांग कमजोर होने से बाकी सभी तेल-तिलहनों की थोक कीमतों में गिरावट दर्ज हुई।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मूंगफली तेल की निर्यात मांग होने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली तेल-तिलहन के भाव में पर्याप्त सुधार आया।
सूत्रों ने बताया कि विदेशों में मूंगफली तेल की मांग होने की वजह से निर्यातक गुजरात में मूंगफली तेल 160 रुपये प्रति किलो के भाव खरीद कर रहे हैं। इस निर्यात मांग के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के भाव मजबूत हुए। लेकिन स्थानीय मांग कमजोर होने से बाकी खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में नरमी दर्ज हुई।
सूत्रों ने दावा किया कि खाद्य तेल-तिलहनों के थोक भाव में गिरावट आई है। यह पूछे जाने पर अगर गिरावट आई है तो आम उपभोक्ताओं को 190-210 रुपये लीटर या उससे अधिक कीमत पर सरसों तेल क्यों मिल रहा है, सूत्रों ने कहा कि यह वास्तविकता है कि थोक भाव कम हुए हैं। थोक विक्रेता आगे आपूर्ति करने के लिए खुदरा कंपनियों को 152 रुपये लीटर (अधिभार सहित) के हिसाब से आपूर्ति कर रहे हैं। खाद्य तेल के एक प्रमुख ब्रांड ने शनिवार को 152 रुपये लीटर के भाव बिक्री की है लेकिन खुदरा कंपनियां यदि इस कीमत में मनमानी वृद्धि कर रही हैं, तो सरकार को उसपर अंकुश लगाने के बारे में सोचना चाहिये। छापेमारी से कुछ हासिल नहीं होगा उल्टा इससे तेल कारोबार की आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि छापेमारी के बजाय केवल बाजार में घूम-घूम कर खुदरा विक्रेता कंपनियों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की जांच की जाये, तो समस्या की जड़ में पहुंचा जा सकेगा। लेकिन अगर खुदरा बिक्री कंपनियां एक सीमा से अधिक जाकर मनमाना पैसा वसूल करने पर उतारू हो जायें तो बढ़ती मुद्रास्फीति को संभालना मुश्किल होगा।
सूत्रों ने कहा कि थोक बिक्री मूल्य के हिसाब से खुदरा में सरसों तेल अधिकतम 158-165 रुपये लीटर तथा सोयाबीन तेल अधिकतम 170-172 रुपये लीटर मिलना चाहिये। इस कीमत पर उपभोक्ताओं को खाद्य तेल आपूर्ति के लिए सरकार को यथासंभव प्रयास करना होगा।
सूत्रों ने कहा कि जिस मात्रा में सरसों का रिफाइंड बनाकर आयातित तेलों की कमी को पूरा किया जा रहा है, उससे आगे जाकर सरसों की भारी दिक्कत आयेगी क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है। कम से कम खुद का तेल मिल संचालन करने वाली सहकारी संस्था हाफेड को पर्याप्त मात्रा में सरसों का स्टॉक बनाने को लेकर गंभीर होना पड़ेगा।
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल के आयातित तेलों के दाम से देशी तेल (बिनौला, सरसों, मूंगफली आदि) लगभग10-25 रुपये लीटर नीचे हैं और इसलिए इन तेलों का भंडारण किये जाने का कोई औचित्य नहीं है। जो तेल मिलें खुदरा कारोबार के लिए टैंकरों में तेल, सस्ते दाम पर बगैर मार्जिन के भरती हैं, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के साथ अन्य शुल्कों का समय पर भुगतान कर रही हों, उनके उपर छापेमारी से कोई नतीजा नहीं निकलेगा। थोक भाव के मुकाबले खुदरा भाव की निगरानी किये जाने की आवश्यकता है।
सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 100 रुपये टूटकर 7,415-7,465 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 200 रुपये टूटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 14,850 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 30-30 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 2,335-2,415 रुपये और 2,375-2,485 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 225-225 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,800-6,900 रुपये और 6,500-6,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
गिरावट के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतें नुकसान के साथ बंद हुईं। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 250 रुपये की हानि के साथ 16,400 रुपये, सोयाबीन इंदौर 250 रुपये की गिरावट 15,750 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 450 रुपये की गिरावट के साथ 14,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
गिरावट के आम रुख के विपरीत मूंगफली तेल की निर्यात मांग के कारण पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए। मूंगफली दाना तो अपने पूर्वस्तर पर बना रहा, जबकि मूंगफली तेल गुजरात 350 रुपये के सुधार 16,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 45 रुपये सुधरकर 2,670-2,860 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी बाजारों में अधिक कीमत होने और उसी के अनुरूप मांग कमजोर होने की वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 350 रुपये टूटकर 14,500 रुपये क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 350 रुपये टूटकर 16,000 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 350 रुपये टूटकर 14,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव 300 रुपये टूटकर 14,950 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
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