नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी तथा अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये में लगभग 50 पैसे की गिरावट रहने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को लगभग सभी तेल-तिलहन (सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल) के भाव सुधार के साथ बंद हुए।
मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में सुधार का रुख है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में सुधार रहने के बीच डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 50 पैसे लुढ़ककर 86.26 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इन दोनों ही बातों की वजह से खाद्य तेल का आयात महंगा हो गया जिसका असर आयातित सहित सभी खाद्य तेलों पर देखने को मिला, जो खाद्य तेल कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण बना।
सूत्रों ने कहा कि सरसों की आवक सोमवार के करीब 9.5 लाख बोरी के मुकाबले आज घटकर लगभग 8.5 लाख बोरी ही रह गई है। पिछले वर्ष इस समय 14-15 लाख बोरी की आवक हो रही थी। आवक घटने के बीच मांग रहने के कारण सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार तो है मगर अब भी इसका हाजिर दाम, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 1-1.25 प्रतिशत नीचे ही है। पहले यह दाम एमएसपी से और नीचे था। हालांकि, 10 अप्रैल से राजस्थान में एमएसपी पर सरसों की खरीद शुरू होने की सूचना है जिससे आगे दाम में और सुधार आने की उम्मीद की जा रही है।
उन्होंने कहा कि किसान और अधिक नीचे दाम पर मूंगफली बेचने को राजी नहीं हैं और वे आवक कम ला रहे हैं। कपास की अनुपलब्धता बढ़ती जा रही है और सूरजमुखी के महंगा होने के कारण मूंगफली की मांग निकली है। ऐसी स्थिति में मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र में सोयाबीन डीओसी की मांग बढ़ने के बीच प्लांट वालों ने सोयाबीन के खरीद दाम में 100 रुपये क्विंटल वृद्धि की है। इससे सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया। हालांकि, सोयाबीन का एमएसपी 4,892 रुपये क्विंटल है पर पहले इसका हाजिर दाम 4,200-4,300 रुपये क्विंटल चल रहा था। नेफेड द्वारा सोयाबीन की बिक्री रुकने के बाद सोयाबीन के दाम में कुछ सुधार है लेकिन हाजिर दाम अब भी एमएसपी से नीचे ही है।
मलेशिया में खाद्य तेलों का निर्यात घटने तथा उत्पादन बढ़ना शुरू होने के बीच विदेशों में पाम-पामोलीन के दाम घट रहे हैं। अब सोयाबीन के मुकाबले पाम-पामोलीन का दाम जो पहले काफी अधिक था वह अंतर घटने लगा है। पाम-पामोलीन के महंगा होने के कारण सोयाबीन उसकी जगह लेता जा रहा था। विदेशी बाजार के मजबूत होने से पाम-पामोलीन के दाम भी मजबूत बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि उपलब्धता कम रहने के बीच आगामी शादी-विवाह के मौसम की मांग बढ़ने के कारण बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया।
एक सरकारी बयान में कहा गया कि 31 मार्च, 2025 तक कुल कपास उत्पादन 294.25 लाख गांठ का हुआ है जिसमें से भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा लगभग 38 प्रतिशत की खरीद की गई है।
सूत्रों ने कहा कि किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे तभी देश में तेल-तिलहनों के उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,300-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 5,675-6,050 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,220-2,520 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,370-2,470 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,370-2,495 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,050 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,400-4,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,100-4,150 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
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