(फाइल तस्वीर के साथ)
नयी दिल्ली, पांच फरवरी (भाषा) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की समाशोधन इकाई एनएसई क्लियरिंग लिमिटेड बाजार नियामक सेबी के अनिवार्य तरलता प्रावधानों को पूरा करने में नाकाम रही है, जिसके लिए बीएसई द्वारा बकाया भुगतान न करने को प्राथमिक कारण बताया गया है।
एनएसई पर होने वाले सौदों के समाशोधन और निपटान के लिए जिम्मेदार एनएसई क्लियरिंग लिमिटेड ने कहा है कि दिसंबर, 2024 तिमाही में उसकी न्यूनतम तरल संपत्तियों में 176.65 करोड़ रुपये की कमी आई है।
कंपनी ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को नौ जनवरी को लिखे पत्र में सूचित किया है कि बीएसई से 312.37 करोड़ रुपये का बकाया न मिलने की वजह से उसे यह घाटा उठाना पड़ा है।
एनएसई क्लियरिंग के प्रवक्ता ने कहा कि उसके लेखा परीक्षकों ने अपनी तीसरी तिमाही की वित्तीय समीक्षा में बकाया भुगतान के मुद्दे को उठाया है।
प्रवक्ता ने कहा कि बकाया राशि ‘आपसी आदान-प्रदान की व्यवस्था’ से संबंधित है।
उन्होंने कहा, ‘‘कंपनी को अब भी बीएसई लिमिटेड से 300 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया मिलना बाकी है। एनएसई क्लियरिंग इस मामले पर बीएसई के साथ बात कर रही है।’’
सेबी ने समाशोधन इकाइयों के लिए जोखिम-आधारित पूंजी और शुद्ध मूल्य शर्तों को निर्धारित किया है, जिन्हें वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त तरल संपत्ति बनाए रखनी चाहिए।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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