मुंबई, पांच अप्रैल (भाषा) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) बहुप्रतीक्षित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) प्रक्रिया को शुरू करने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
एनएसई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशीष कुमार चौहान ने कहा कि खुदरा निवेशकों को उच्च जोखिम वाले ‘डेरिवेटिव्स’ में कारोबार करने से बचना चाहिए और केवल इस बारे में जानकारी रखने वाले निवेशकों को ही ऐसे बाजारों में उतरना चाहिए।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्व में कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, 10 में से नौ कारोबारी ‘डेरिवेटिव्स’ कारोबार में पैसा गंवा देते हैं।
एनएसई की आईपीओ योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर चौहान ने कहा, ‘‘ सेबी से मंजूरी मिलने पर हम फिर से आईपीओ संबंधी दस्तावेज दाखिल करेंगे।’’
एनएसई के प्रतिद्वंद्वी एक्सचेंज बीएसई ने 2017 में अपना आईपीओ पेश किया था और वर्तमान में यह एनएसई पर सूचीबद्ध है।
चौहान बीएसई के सूचीबद्ध होने के दौरान उसके सीईओ थे। कथित प्रशासनिक खामियों को लेकर एक्सचेंज और उसके कुछ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ सेबी की जांच के बाद एनएसई की सूचीबद्ध होने की योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गई थीं।
इससे पहले दिसंबर 2016 में एनएसई ने अपने बहुप्रतीक्षित आईपीओ के लिए सेबी के पास दस्तावेज दाखिल किए थे। शुरुआती शेयर बिक्री से 10,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद थी। मौजूदा शेयरधारक बिक्री पेशकश के जरिये 22 प्रतिशत शेयर जनता को बेचना चाह रहे थे।
एनएसई के तत्कालीन प्रबंध निदेशक और सीईओ विक्रम लिमये ने 2020 में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, ‘‘हमने आईपीओ के लिए मंजूरी लेने के लिए सेबी से संपर्क किया है। उसके बाद, हम मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
एनएसई में कुल मिलाकर नौ करोड़ पंजीकृत निवेशक हैं और ऐसे निवेशक भारत के 99 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र से आते हैं। वर्तमान में केवल 33-35 पिनकोड को बाहर रखा गया है।
भाषा निहारिका अजय
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