नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) बंदरगाह संपर्क, कोयला, इस्पात और खाद्य उत्पादों की आवाजाही से संबंधित 196 महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के मामले में कमी की पहचान की गई है। नेटवर्क योजना समूह (एनपीजी) इस कमी को पूरा करने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
एनपीजी का गठन पीएम गतिशक्ति पहल के तहत किया गया है। इसमें विभिन्न बुनियादी ढांचा मंत्रालयों/विभागों का प्रतिनिधित्व है। इसमें एकीकृत योजना और प्रस्तावों के एकीकरण के लिये उनके योजना विभाग के प्रमुख शामिल हैं।
पीएम गतिशक्ति योजना की घोषणा पिछले साल की गयी थी। यह योजना मल्टी-मॉडल और अंतिम छोर तक संपर्क के मुद्दों के समाधान के लिये परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने को लेकर एक समग्र तथा एकीकृत दृष्टिकोण लाने के उद्देश्य से लायी गयी है।
यह ‘लॉजिस्टिक’ लागत को कम करने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में विशेष सचिव अमृत लाल मीणा ने यहां कहा, ‘‘विभिन्न क्षेत्रों में ‘लॉजिस्टिक’ दक्षता बढ़ाने के लिये महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में कमी की पहचान की गयी है।’’
उन्होंने 87 कार्यात्मक बंदरगाहों का उदाहरण देते हुए कहा कि सड़क मंत्रालय, पोत परिवहन मंत्रालय और उद्योग तथा आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईटाईटी) के संयुक्त अभियान के तहत सभी बंदरगाह प्राधिकरणों और राज्य समुद्री बोर्डों ने एक पूर्ण ऑडिट किया है।
मीणा ने कहा कि इन मंत्रालयों के अधिकारियों ने कार्गो की तेजी से निकासी के लिये एक व्यापक बंदरगाह संपर्क योजना तैयार की है।
सड़क या रेल के मामले में बुनियादी ढांचे के स्तर पर महत्वपूर्ण कमी या अंतर को चिह्नित किया गया है और सूचना को संबंधित प्राधिकरणों के साथ साझा किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 11 महीनों में परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) पोर्टल पर सूचीबद्ध 1,300 से अधिक मुद्दों का निपटान किया गया है। ये मुद्दे विभिन्न ढांचागत परियोजनाओं के क्रियान्वन को प्रभावित कर रहे थे।
इन 1,300 मुद्दों में से 40 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण और 25 से 35 प्रतिशत पर्यावरण तथा वन मंजूरी से संबंधित थे।
भाषा
रमण अजय
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