नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी स्वामित्व वाले महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के निजीकरण की कोई योजना नहीं है।
संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि एमटीएनएल को वर्ष 2016-17 से घाटा हो रहा है, और वर्ष 2021-22 में इसका घाटा 2,617 करोड़ रुपये था।
मंत्री ने कहा, ‘‘एमटीएनएल के निजीकरण की कोई योजना नहीं है।’’
सरकार ने अक्टूबर 2019 में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और एमटीएनएल के लिए पुनरुद्धार योजना को मंजूरी दी, जिसमें दो सरकारी स्वामित्व वाले दूरसंचार निगमों के विलय के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी गई थी।
एमटीएनएल के अधिक कर्ज और बीएसएनएल की प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के कारण, सरकार ने दिसंबर 2020 में एमटीएनएल की ऋण स्थिति में सुधार होने तक विलय को टाल दिया।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने 14 जून, 2022 को हुई अपनी बैठक में 5-जी सेवाएं प्रदान करने के लिए बीएसएनएल के लिए स्पेक्ट्रम आरक्षित किया था।
चौहान ने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारत में बने 4 जी उपकरणों का परीक्षण पहले से ही अग्रिम चरण में है और परीक्षण पूरा होने के बाद उपकरणों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि इस उपकरण को लगाने और चालू करने के बाद लोगों को लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, मंत्री ने कहा कि प्रमुख दूरसंचार सेवा प्रदाताओं का वित्तवर्ष 2018-19 तक कुल लाइसेंस शुल्क (एलएफ) और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) बकाया लगभग 1,62,654.4 करोड़ रुपये था।
भाषा राजेश राजेश रमण
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