नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) का निजीकरण अगले वित्त वर्ष तक टल सकता है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कोई ‘खरीदार’ बीपीसीएल के परिसर में नहीं आया।
सरकार बीपीसीएल में अपनी समूची 52.98 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। इसके लिए अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह सहित तीन कंपनियों से रुचि पत्र (ईओआई) मिला है। कंपनी के लिए वित्तीय बोलियां अभी तक नहीं मांगी गई हैं।
विश्लेषकों के साथ ‘कॉन्फ्रेंस कॉल’ में बीपीसीएल के निदेशक-वित्त वी आर के गुप्ता ने कहा कि कंपनी सरकार की हिस्सेदारी खरीदने की इच्छुक कंपनियों के ब्योरे का लगातार अद्यतन करती है और उनके सवालों का जवाब भी देती है।
उन्होंने कहा, ‘‘तीसरी तिमाही में कंपनी के लिए कोई खरीदार परिसर में नहीं आया और स्थिति ‘यथावत’ है।’’
गुप्ता ने स्पष्ट किया कि विनिवेश प्रक्रिया में हमारी कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं है। जांच-परख के लिए जो भी ब्योरा चाहिए वह उपलब्ध है। प्रत्येक तिमाही हम पोर्टल पर इस ब्योरे का अद्यतन करते हैं।
गुप्ता के इस बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि या तो तीनों बोलीदाताओं ने जांच-पड़ताल का काम पूरा कर लिया है या वे अभी ‘रुके’ हुए हैं।
बीपीसीएल ने अप्रैल, 2021 में ‘ऑनलाइन’ डाटा रूम शुरू किया था जिसमें कंपनी के बारे में वित्तीय सूचना थी।
वेदांता के अलावा निजी इक्विटी कंपनियों अपोलो ग्लोबल और आई स्कावयर्ड कैपिटल की इकाई थिंक गैस ने कंपनी के लिए रुचि पत्र दिया था।
भाषा अजय अजय रमण
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