नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) नीति आयोग ने देश में इलेक्ट्रिक परिवहन को तेज रफ्तार देने के लिए सोमवार को स्पष्ट लक्ष्यों और समय-सीमाओं के साथ एक राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति बनाने की अनुशंसा की।
नीति आयोग ने ईवी प्रोत्साहन पर केंद्रित अपनी रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक वाहन से संबंधित चरणबद्ध मानकों के साथ एक नियामकीय ढांचा खड़ा करने और शून्य-उत्सर्जन वाले वाहनों को अपनाने के लिए स्पष्ट नीतिगत दिशानिर्देशों की भी जरूरत पर बल दिया है।
रिपोर्ट में सार्वजनिक बजट और बहुपक्षीय विकास बैंकों से मिलने वाले अंशदानों की मदद से एक संयुक्त कोष बनाने का सुझाव दिया गया है, जिससे ई-बसों और ई-ट्रकों की खरीद के लिए कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा सके।
नीति आयोग ने परिसंपत्ति खरीद के बजाय सेवा-आधारित मॉडल को प्राथमिकता देने, शोध एवं विकास को बढ़ावा देने और चार्जिंग बुनियादी ढांचे के रणनीतिक विस्तार की भी जरूरत बताई है।
इसके अलावा ईवी में इस्तेमाल होने वाली बैटरी की लागत घटाने, ऊर्जा घनत्व बढ़ाने और दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के आयात पर निर्भरता कम करने पर भी जोर दिया गया है।
नीति आयोग ने रिपोर्ट में कहा है, ‘बैटरी चार्जिंग ढांचे के रणनीतिक प्रोत्साहन और सार्वजनिक जागरूकता एवं सूचना प्रणाली को बढ़ाने से ईवी को अपनाने में तेजी आएगी।’
भारत ने वर्ष 2030 तक कुल वाहन बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 30 प्रतिशत पर ले जाने का लक्ष्य रखा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में देश में सिर्फ 50,000 ईवी की बिक्री हुई थी जो बढ़कर 2024 में 20.8 लाख तक पहुंच गई। हालांकि यह अभी भी वैश्विक रुझानों की तुलना में पीछे है।
इसमें कहा गया है कि फिलहाल देश में ईवी की हिस्सेदारी 7.6 प्रतिशत है जिसे अगले पांच वर्षों में 22 प्रतिशत से अधिक पहुंचाने की जरूरत है।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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