नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने निविदा बाद संशोधन के जरिये परियोजना विकास करने वाली कंपनियों को बेजा लाभ पहुंचाने के लिये राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की खिंचाई की है।
कैग ने यह भी कहा कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नोट जारी करने और मंजूरी को लेकर मंत्रिमंडल सचिवालय के दिशानिर्देशों का अनुपालन करने में विफल रहा।
एनएचएआई दरअसल केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत ही आता है।
संसद में पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘एनएचएआई ने निविदा बाद संशोधन के जरिये परियोजना विकास करने वालों को बेजा लाभ पहुंचाया।’’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कंपनियों की तरफ से देय प्रीमियम एक खुली बोली प्रक्रिया के बाद तैयार किये गये कानूनी अनुबंध के तहत निर्धारित किया गया था। इसमें प्रीमियम की पेशकश वित्तीय बोलियों (प्रस्ताव के लिये अनुरोध) पर निर्णय लेने में एकमात्र मानदंड था।’’
देश में राष्ट्रीय राजमार्ग बनाओ-अपनाओ-सौंप दो (बीओटी) या बीओटी (एन्यूटी), पथकर तथा इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) जैसे विभिन्न तरीकों से तैयार किये जा रहे हैं।
कैग ने कहा, ‘‘निविदा/अनुबंध के बाद कोई भी संशोधन पूरी निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के समान है। यह अनुबंध की पवित्रता के साथ-साथ अन्य बोलीदाताओं को लेकर भी अनुचित है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएचएआई ने राजमार्ग परियोजनाओं के संबंध में कंपनियों के प्रस्तावित प्रीमियम के युक्तिसंगत बनाने को लेकर योजना का प्रस्ताव रखा।
कैग के मुताबिक, एनएचएआई निदेशक मंडल की बैठक में प्रीमियम को युक्तिसंगत बनाने की नीति या योजना पर न तो विचार किया गया और न ही इसे मंजूरी दी गई।
कैग ने सुझाव दिया कि एनएचएआई कोई नई योजना पेश करने से पहले यह सुनिश्चित कर सकता है कि अनुबंधों के मौजूदा प्रावधानों का अनुपालन हो।
रिपोर्ट में भी एनएचएआई को निविदा के बाद/अनुबंध संशोधनों से बचने की सिफारिश की गयी है।
कैग ने कहा कि एनएचएआई/सड़क मंत्रालय को सरकार के मौजूदा नियमों, प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए और अपने प्रस्तावों में सभी तथ्यों को रखना चाहिए। खासकर नियमों में बदलाव के समय इसका पालन जरूर होना चाहिए।
भाषा
रमण जतिन
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