नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) लेखा परीक्षक (ऑडिटर) और कंपनियों की ऑडिट समितियों के बीच बातचीत की गुणवत्ता और स्तर को सुधारने के लिए राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) छह से सात दस्तावेज (पेपर) जारी करने की योजना बना रहा है। इसमें सांविधिक ऑडिट से जुड़े विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए सवालों के सेट होंगे।
एनएफआरए के चेयरपर्सन अजय भूषण प्रसाद पांडेय ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि ये दस्तावेज हितधारकों को ऑडिट से संबंधित सही सवाल पूछने में मदद करेंगे।
अक्टूबर, 2018 में गठित एनएफआरए ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार करने के प्रयास कर रहा है और लेखा परीक्षा में चूक के लिए विभिन्न इकाइयों के खिलाफ 80 से अधिक आदेश पारित कर चुका है।
एनएफआरए के प्रमुख ने कहा, ‘‘ये दस्तावेज कंपनियों की ऑडिट समितियों, स्वतंत्र निदेशकों और निदेशक मंडल के लिए ऑडिटिंग की बारीकियों और महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने में मार्गदर्शक के रूप में भी काम करेंगे।’’
नियोजित शृंखला के तहत ‘लेखा अनुमानों का ऑडिट और निर्णय भाग 1: भारतीय लेखा मानक 109 के तहत अपेक्षित ऋण नुकसान (ईसीएल)’ पर पहला दस्तावेज 10 जनवरी को जारी किया गया।
पांडेय ने कहा, ‘‘एनएफआरए ने छह से सात दस्तावेज जारी करने की योजना बनाई है, जिसमें प्रश्नों के सेट होंगे जो वैधानिक लेखापरीक्षा के विभिन्न पहलुओं को शामिल करेंगे, ताकि ऑडिटर और कंपनियों की लेखापरीक्षा समितियों/बोर्ड के निदेशकों के बीच बातचीत की गुणवत्ता और स्तर को बढ़ाया जा सके।’’
कई मामलों में, नियामक ने पाया है कि लेखा परीक्षा समितियों ने ऑडिटर के साथ बातचीत नहीं की और उनसे सही सवाल नहीं पूछे। कुछ ऑडिटर ने संबंधित समितियों के समक्ष कई मुद्दों को प्रस्तुत भी नहीं किया। इस तरह की बातचीत नहीं होने से संभावित कॉरपोरेट विफलता के मामले सामने नहीं आ पाए।
लेखा परीक्षा मानकों के अनुसार, ऑडिटर को टीसीडब्ल्यूजी (कामकाज के संचालन के लिए जिम्मेदार) के सदस्यों के साथ दोतरफा संचार करना आवश्यक है।
पांडेय ने कहा, ‘‘एनएफआरए ने प्रवर्तन, समीक्षा और निगरानी गतिविधियों के अपने अनुभव के दौरान यह पाया है कि लेखा परीक्षा में गुणवत्ता के मुद्दे हैं जिन्हें सही समय पर हल किया जा सकता था, बशर्ते लेखा परीक्षकों ने इन क्षेत्रों पर उचित जोर दिया होता और लेखापरीक्षा समितियों और संबंधितों ने सही सवाल पूछे होते।’’
उनके अनुसार, समग्र प्रयास लेखा परीक्षा की गुणवत्ता में और सुधार करना है जो कामकाज के संचालन के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है।
भाषा अजय अजय अनुराग
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