नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को कहा कि नया दूरसंचार विधेयक छह से दस महीने के भीतर लाया जा सकता है लेकिन इसके लिए सरकार किसी जल्दबाजी में नहीं है।
अंतिम रूप से विधेयक के क्रियान्वयन की समयसीमा के बारे में पूछने पर वैष्णव ने कहा, ‘‘विचार विमर्श की प्रक्रिया के बाद अंतिम मसौदा तैयार करेंगे, जो संबंधित संसदीय समिति के समक्ष जाएगा। उसके बाद इसे संसद में लाया जाएगा। मेरे खयाल से इसमें छह से दस महीने का वक्त लगेगा, लेकिन हम किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं।’’
यह विधेयक तीन कानूनों- भारतीय तार अधिनियम 1885, भारतीय बेतार तार यांत्रिकी अधिनियम 1933 और तार यंत्र संबंधी (विधि विरुद्ध कब्जा) अधिनियम 1950 का स्थान लेगा।
केंद्रीय मंत्री ने मसौदा विधेयक पर 36 मिनट से अधिक की विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि नया दूरसंचार विधेयक उद्योग के पुनर्गठन और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक स्पष्ट रास्ता तैयार करेगा। सरकार अगले डेढ़ से दो साल में पूरे डिजिटल नियामक ढांचे को नया रूप देगी। इसका मकसद सामाजिक उद्देश्यों, व्यक्तियों के कर्तव्य और अधिकार, प्रौद्योगिकी ढांचे आदि के बीच संतुलन कायम करना है।
दूरसंचार विधेयक-2022 के मसौदे के अनुसार ‘कॉलिंग’ और ‘मैसेजिंग’ सेवाएं देने वाले व्हॉट्सएप, जूम और गूगल डुओ जैसे ‘ओवर-द-टॉप’ ऐप को देश में काम करने के लिए लाइसेंस की जरूरत हो सकती है।
विधेयक के अनुसार सभी इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप को केवाईसी प्रावधान का पालन करना होगा। वैष्णव ने कहा कि पहली प्राथमिकता उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा है और प्रत्येक उपभोक्ता को यह जानने का अधिकार है कि कॉल कौन कर रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की वजह से इतने बदलाव हुए हैं कि वॉयस कॉल और डेटा कॉल के बीच का अंतर खत्म हो गया है और केवाईसी मानदंड से साइबर धोखाधड़ी को रोकने में भी मदद मिलेगी।
भाषा पाण्डेय रमण
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