(तस्वीर के साथ)
मुंबई, पांच अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को कहा कि हमें इस साल गर्मियों में सब्जियों की कीमतों पर नजर बनाए रखने की जरूरत है’’ क्योंकि आईएमडी ने अधिक गर्मी पड़ने की भविष्यवाणी की है।
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में दास ने कहा कि आरबीआई का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति दर को टिकाऊ आधार पर सरकार द्वारा निर्धारित चार प्रतिशत के लक्ष्य तक लाना है। ‘‘आखिरी पड़ाव’’ सबसे चुनौतीपूर्ण है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के देश के कई हिस्सों में इस साल जून तक लू चलने का पूर्वानुमान लगाने से जुड़े सवाल पर दास ने कहा, ‘‘ हमें यह देखना होगा कि इसका (उच्च तापमान) विशेष रूप से खाद्य फसलों पर क्या असर पड़ता है। मैंने कुछ प्रमुख सब्जियों का उल्लेख भी किया है।’’
हालांकि, उन्होंने गेहूं को लेकर कोई समस्या नहीं होने का भरोसा जताया और कहा कि अधिकतर कटाई पूरी हो चुकी है।
गवर्नर ने कहा, ‘‘ गेहूं…..इसको लेकर ऐसी कोई चिंता नहीं है, लेकिन सब्जियों की कीमतों पर नजर रखनी होगी….और लू के कई अन्य प्रभाव हो सकते हैं।’’
डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति हाल के दिनों में अत्यधिक अस्थिर रही है, और इसे बढ़ाने वाले कारक लगातार बदलते रहते हैं। हम यह सुनिश्चित करने पर ध्यान दे रहे हैं कि इसका असर उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (सीपीआई) के बाकी आयामों पर न पड़े।
पात्रा ने कहा कि अंडा, मांस, मछली और चावल जैसी वस्तुओं की वजह से भी मुद्रास्फीति पर दबाव बना है। इसके अलावा हाल के दिनों में अनाज, सब्जियों के कारण भी खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है।
इससे पहले दिन में अपने बयान में गवर्नर ने कहा था कि मुद्रास्फीति पर आरबीआई का लक्ष्य अब सामने है और उन्होंने सभी से मूल्य वृद्धि को लेकर सतर्कता कम नहीं करने को कहा है।
समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2024-25 की कुछ तिमाहियों में चार प्रतिशत से नीचे जाती दिख रही है, लेकिन फिर ऊपर आ जाएगी।
दास ने कहा, ‘‘ हाथी (मुद्रास्फीति) धीमी गति से चलता है’’ और अंतिम पड़ाव हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम चाहते हैं कि हाथी जंगल में लौट आए और हमेशा वहीं रहे। हम चाहते हैं कि मुद्रास्फीति टिकाऊ आधार पर लक्ष्य के अनुरूप रहे।’’
इस बीच, दास ने कहा कि आरबीआई के आखिरी अध्ययन के बाद से संभावित वृद्धि दर में बढ़ोतरी हुई। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के लिए औसत वृद्धि आठ प्रतिशत है।
आरबीआई द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान को सात प्रतिशत पर बनाए रखने के बारे में आरबीआई अधिकारियों ने बताया कि यह वित्त वर्ष 2024-25 तक के दौरान आने वाले वर्षों में उच्च वृद्धि के आधार प्रभाव की वजह से है।
दास ने कहा कि अगर वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में सात प्रतिशत रही, तो लगातार चौथे साल अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि मई में वित्त वर्ष 2023-24 की वृद्धि के आधिकारिक आंकड़े जारी होने के बाद, आरबीआई संभावित वृद्धि तथा वास्तविक ब्याज दर पर गौर करेगा।
हालांकि, आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति या आगे के रुख पर कोई भी टिप्पणी करने से परहेज किया।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति कम हो रही है और जीडीपी वृद्धि वर्तमान में मजबूत है, हालांकि आरबीआई अगले दशक में वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करेगा।
दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को तय लक्ष्य पर लाने पर ध्यान केंद्रित किया है और इसे वहां तक लाने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
भाषा निहारिका अजय
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