नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कर आधार का दायरा बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए शुक्रवार को कहा कि गैर-वेतनभोगी और गैर-कॉरपोरेट कर जमाकर्ता एक रिटर्न पर सिर्फ 31,500 रुपये का ही कर अदा करते हैं। इस श्रेणी में सीमित जवाबदेही भागीदारी (एलएलपी), भागीदारी फर्में आदि शामिल हैं।
बजाज ने बजट के बाद आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि उद्योग जगत में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर कानून दोनों के ही ‘बेहद गंभीर उल्लंघन’ के कुछ मामले सामने आए हैं। उन्होंने उद्योग संगठनों से इस तरह की घटनाओं में कमी लाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने को कहा।
उन्होंने कहा कि बजट 2022-23 में अप्रत्यक्ष करों में कोई बदलाव नहीं किए गए हैं क्योंकि सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ढांचागत क्षेत्र पर खर्च बढ़ाना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘संभवतः हम कर संरचना को बेहतर के लिए एक साल और इंतजार करेंगे।’
बजाज ने स्वामित्व, एलएलपी और भागीदारी फर्मों पर कर दरों में कटौती के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस वर्ग में कर-आधार बढ़ने पर ही कुछ सोचा जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘आंकड़ों से पता चलता है कि अगर वेतनभोगी तबके एवं कंपनियों को अलग कर दें तो वर्ष 2020-21 में बाकी सभी संवर्गों का प्रति रिटर्न कर अंशदान सिर्फ 31,500 रुपये था।’
उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर विभागों के पास कर चुकाने वाले संवर्गों के बारे में पर्याप्त आंकड़े हैं। उन्होंने औपचारिक कारोबार का दायरा बढ़ने पर कर भुगतान बढ़ने की उम्मीद भी जताई।
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प्रेम रमण
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