नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) देश के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) गिरीश चंद्र मुर्मू ने सोमवार को कहा कि उचित सब्सिडी और मुफ्त की रेवड़ियों के बीच अंतर करना जरूरी है।
उन्होंने साथ ही राज्यों को अपने राजस्व स्रोतों से अपने पूंजीगत व्यय को पूरा करने की सलाह दी।
मुर्मू ने एक दिवसीय वार्षिक महालेखाकार सम्मेलन में इस बात पर भी जोर दिया कि राज्यों को सब्सिडी के उचित लेखांकन को बनाए रखने के लिए कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे को कम करने, राजस्व घाटे को खत्म करने और बकाया ऋण को स्वीकार्य स्तर पर रखने के लिए विवेकपूर्ण उपाय करने चाहिए।
मुर्मू के अनुसार राज्यों को राजस्व के अपने स्रोतों से, ऋण और अग्रिम सहित अपने पूंजीगत व्यय को पूरा करना चाहिए। कम से कम शुद्ध ऋण को अपने पूंजीगत व्यय तक ही सीमित रखना चाहिए।
उन्होंने कहा, ”हम वंचितों की मदद के लिए सब्सिडी के महत्व को समझते हैं और ऐसी सब्सिडी के लिए पारदर्शी खाता होना जरूरी है। इसके साथ ही हमें उचित सब्सिडी और मुफ्त की रेवड़ियों के बीच अंतर करने की जरूरत है।”
चुनावों से पहले राजनीतिक दल जिस तरह मुफ्त उपहारों का वादा करते हैं, उसे लेकर चल रहे विवाद के बीच यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है।
भाषा पाण्डेय रमण
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