नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने शुक्रवार को जेनसोल इंजीनियरिंग को नोटिस जारी कर इरेडा की दिवाला याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को सुनवाई के लिए तीन जून की तारीख तय की।
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) की याचिका दिवाला न्यायाधिकरण एनसीएलटी की अहमदाबाद की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई है।
न्यायिक सदस्य शम्मी खान और तकनीकी सदस्य संजीव कुमार शर्मा की पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए तीन जून को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।
कार्यवाही के दौरान, इरेडा ने पीठ से अनुरोध किया कि वह कंपनी का कार्यभार संभालने के लिए एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त करे, क्योंकि बाजार नियामक सेबी के आदेश के बाद शीर्ष नेतृत्व कंपनी से बाहर हो गया है। हालांकि, पीठ ने इससे इनकार कर दिया।
एनसीएलटी, जेनसोल इंजीनियरिंग को कर्ज दे रखी इरेडा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें 510 करोड़ रुपये की चूक का दावा किया गया है।
जेनसोल की मुश्किलें 15 अप्रैल को तब शुरू हुईं जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक अंतरिम आदेश पारित किया। सेबी ने धन हेराफेरी और संचालन के स्तर पर चूक मामले में जेनसोल इंजीनियरिंग और उसके प्रवर्तकों – अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को अगले आदेश तक प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया।
शेयर बाजार को दी गई जानकारी के अनुसार, सेबी के 12 मई के अंतरिम आदेश के बाद जग्गी बंधुओं ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया। अनमोल सिंह जग्गी प्रबंध निदेशक के पद पर थे, जबकि पुनीत सिंह जग्गी पूर्णकालिक निदेशक थे।
जेनसोल इंजीनियरिंग ने बुधवार को कहा कि प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने उसकी अपील का निपटारा कर दिया है, लेकिन कंपनी को प्रतिभूति बाजार से फर्म और उसके प्रवर्तकों पर प्रतिबंध लगाने के सेबी के अंतरिम आदेश पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दी है।
भाषा अनुराग रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.