मुंबई, 20 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने बुधवार को वेदांता लि. के एल्युमीनियम, तेल और गैस समेत अन्य व्यवसायों को अलग करने के प्रस्ताव पर सुनवाई 17 सितंबर तक के लिए टाल दी। इसका कारण यह है कि बाजार नियामक सेबी ने अभी तक प्रस्ताव की पूरी जांच नहीं की है, जबकि केंद्र सरकार ने कुछ आपत्तियां उठाई हैं।
इस मामले में पहले आंशिक सुनवाई हुई थी और अगली सुनवाई 20 अगस्त तक के लिए स्थगित की गयी थी।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने दो जुलाई को एनसीएलटी की मुंबई पीठ के समक्ष वेदांता के प्रस्तावित विभाजन पर आपत्ति जताई थी।
इस बीच, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने न्यायाधिकरण को सूचित किया कि व्यवसायों को अलग करने की प्रस्तावित योजना पर फिलहाल उसकी कोई और टिप्पणी नहीं है और वह वेदांता द्वारा लागू नियामकीय मानदंडों के अनुपालन की पुष्टि कर रहा है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के कानूनी सलाहकार ने भी पुष्टि की कि व्यवसायों को अलग करने के प्रस्ताव के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है।
हालांकि, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के कानूनी प्रतिनिधि ने अगली सुनवाई में योजना पर मंत्रालय की टिप्पणियां प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया।
वेदांता ने सितंबर, 2023 में अपनी कारोबार को अलग करने योजना की घोषणा की थी। इसके तहत एल्युमीनियम, तेल और गैस, बिजली और मूल धातुओं पर ध्यान केंद्रित करने वाली चार स्वतंत्र सूचीबद्ध कंपनियां बनाने का प्रस्ताव है। इसका मकसद परिचालन को सुव्यवस्थित करना, प्रबंधन को और बेहतर बनाना तथा शेयरधारकों के लिए मूल्य को सृजित करना है।
एनसीएलटी और अन्य सरकारी निकायों से मंजूरी लंबित होने के कारण मार्च, 2025 में व्यवसायों को अलग करने की समयसीमा 30 सितंबर, 2025 तक बढ़ा दी गई थी।
भाषा रमण अजय
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