नयी दिल्ली, तीन अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने रियल्टी कंपनी एमईपी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के साथ एक अंतरिम समाधान पेशेवर भी नियुक्त कर दिया है।
एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है। इस याचिका में 127.86 करोड़ रुपये के कर्ज भुगतान की चूक का दावा किया गया था।
एनसीएलटी की दो सदस्यीय पीठ ने 28 मार्च को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘मौजूदा तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह जरूरी है कि कर्जदार कंपनी एमईपी इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू की जाए।’’
इसके अलावा आईबीसी की धारा 14 के तहत रियल्टी कंपनी एमईपी इन्फ्रास्ट्रक्चर को किसी भी मुकदमे, निर्देश और हस्तांतरण से संरक्षण भी दिया गया है।
कंपनी ने मार्च, 2010 में विविध बैंकिंग व्यवस्था (एमबीए) के तहत बैंक ऑफ इंडिया से कुछ वित्तीय मदद हासिल की थी। लेकिन वह इसका समय पर भुगतान नहीं कर पाई थी।
इसके बाद बैंक ने एनसीएलटी के समक्ष दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के लिए याचिका दायर की। याचिका स्वीकार करने के साथ ही एक अंतरिम समाधान पेशेवर भी नियुक्त कर दिया गया है जो कंपनी का नियंत्रण अपने हाथ में लेगा।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.