मुंबई, 16 फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लि. (एनएआरसीएल) या बैड बैंक, बैंकों के वित्तीय दबाव को कम करने में मदद करेगा तथा कर्ज चक्र को गति देगा। आरबीआई के एक लेख में यह बात कही गयी है।
इसमें कहा गया है कि दुनियाभर में जो प्रमाण हैं, उनसे पता चलता है कि केंद्रीकृत बैड बैंक के कई लाभ हैं। इसमें बैंकों के संसाधान महत्वपूर्ण बुनियादी गतिविधियों के लिये मुक्त होना, निवेशकों और ग्राहकों को सकारात्मक संकेत आदि शामिल हैं।
आरबीआई के मासिक बुलेटिन में ‘संकट में मददगार बैंड बैंक: भारत के लिये विभिन्न देशों के अनुभव से सबक’ शीर्षक से प्रकाशित लेख को आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग के बैंकिंग अनुसंधान प्रभाग के स्नेहल एस हेरवाडकर, अर्पिता अग्रवाल और संभवी ढींगरा ने लिखा है। यह स्पष्ट किया गया है कि विचार लेखकों के हैं न कि आरबीआई के।
लेख के अनुसार, ‘‘भारत के संदर्भ में, स्पष्ट जिम्मेदारी और सरकारी की गारंटी के साथ राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (एनएआरसीएल) का गठन वाणिज्यिक बैंकों के वित्तीय दबाव को दूर करने में मददगार होगा।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में घोषणा की थी कि सरकार बैंड बैंक गठित करेगी।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने पिछले महीने कहा था कि भारत में बैड बैंक को परिचालन शुरू करने के लिये सभी मंजूरी मिल गई है। शुरू में 82,845 करोड़ रुपये के कुल 38 बड़े दबाव वाले खातों को एनएआरसीएल को स्थानांतरित करने को पहचाना गया है।
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रमण अजय
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