नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) नायरा एनर्जी, जिसका आंशिक स्वामित्व रूसी पेट्रोलियम कंपनी रोसनेफ्ट पीजेएससी के पास है और जिसे जुलाई में यूरोपीय संघ ने ‘काली सूची’ में डाल दिया था – को लगातार दूसरे महीने गैर-रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि पश्चिम की जहाज कंपनियों ने इसके लिए तेल भेजने से इनकार कर दिया है। जहाजों की निगरानी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
नायरा, जिसने गुजरात के वाडिनार में अपनी 4,00,000 बैरल प्रतिदिन की तेल रिफाइनरी के उत्पादन में पहले ही कटौती कर दी है, अगस्त से रूसी बैरल पर काफी हद तक निर्भर है।
वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म केपलर के शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि कंपनी को अगस्त में लगभग 2,42,000 बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) रूसी तेल मिला। संभवतः मॉस्को द्वारा व्यवस्थित जहाजों के माध्यम से, और सितंबर के पहले पखवाड़े में 3,32,000 बैरल प्रतिदिन तेल हासिल हुआ।
इराक और सऊदी अरब ने जुलाई में नायरा को लगभग 1,20,000 बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल की आपूर्ति की थी।
केपलर के प्रमुख शोध विश्लेषक (रिफाइनिंग और मॉडलिंग) सुमित रिटोलिया ने कहा, ‘‘नायरा की स्थिति मौजूदा प्रतिबंधों के बोझ तले चुनौतीपूर्ण बनी हुई है, जिससे रूसी बैरल पर उसकी निर्भरता और बढ़ गई है। प्रतिबंधों के बाद, रिफाइनरी को अनुपालन, शिपिंग, भुगतान चैनलों और कम कच्चे तेल के आयात से जूझना पड़ा है।’’
उन्होंने कहा कि ये मुद्दे ‘‘धीरे-धीरे सुलझ रहे हैं, और हमें उम्मीद है कि परिचालन अपनी किफायती या निर्धारित क्षमता के करीब पहुंच जाएगा।’’
जुलाई में, यूरोपीय संघ ने जनवरी, 2026 से रूसी कच्चे तेल से बने पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसने जहाजों का प्रबंधन करने वाली रूसी और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों, रूसी कच्चे तेल के व्यापारियों और बेड़े के एक प्रमुख ग्राहक – वाडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगा दिए। इसमें रोसनेफ्ट की 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
प्रतिबंधों का मतलब था कि गैर-रूस समर्थित जहाजी बेड़े ने तेल परिवहन करने से इनकार कर दिया, और पश्चिमी बीमा कंपनियों ने बैरल के लिए कवर प्रदान करने से इनकार कर दिया।
यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के कारण नायरा के लगभग आधा दर्जन शीर्ष अधिकारियों, जिनमें मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) भी शामिल थे, ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया था।
भाषा अजय अजय
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