नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (भाषा) विदेशी बाजारों में भारी गिरावट दर्ज होने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को बिनौला तेल (पूर्वस्तर) को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।
शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट है जबकि मलेशिया एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मंगलवार को मंडियों में कपास की आवक घटकर आज लगभग 38-40 हजार गांठ रह गई। इससे जिंनिंग मिलों द्वारा निकाले जाने वाले बिनौले की पेराई मिलें बंद हो रही हैं क्योंकि 18-20 रुपये बिकने वाले नकली बिनौला खल के आगे लगभग 30 रुपये किलो वाला असली बिनौला खल बाजार में बिकना मुश्किल है। इससे कपड़ा उद्योग और पशु आहार उद्योग दोनों के लिए संकट हो रहा है। संभवत: इसी कारण से सरकार ने इसका उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है लेकिन जब तक देशी तेल तिलहनों का बाजार विकसित नहीं होगा, उत्पादन बढ़ाने में मुश्किलें बनी रहेंगी।
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक कल के सवा आठ लाख बोरी से घटकर लगभग सात लाख बोरी रह गई है। आवक कम होने के बावजूद सरसों का बाजार टूट रहा है जबकि इसे बढ़ना चाहिये था। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10-12 प्रतिशत नीचे दाम पर बिक्री का मन बना रहे हैं। इन स्थितियों के बारे में सारे तेल विशेषज्ञ और संगठन चुप्पी साधे हैं।
सूत्रों ने कहा कि आज विभिन्न परिचर्चाओं में तेल विशेषज्ञ खाद्य तेलों की महंगाई पर चिंता जताते दिखते हैं कि खाद्य तेलों के दाम काफी बढ़ गये हैं और इससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी। इस तरह की चर्चाओं ने ही देश के तेल-तिलहन उद्योग को असली नुकसान किया है। उन्होंने इसके लिए एक उदाहरण पेश किया।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 मई में आयात होने वाले सूरजमुखी तेल का दाम 2,500 डॉलर प्रति टन हो गया था जबकि इसके तीन साल पहले उसपर 38.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू था। धीरे-धीरे करके यह आयात शुल्क घटाकर शून्य प्रतिशत कर दिया गया और सूरजमुखी तेल का दाम घटता हुआ 910 डॉलर प्रति टन रह गया। लेकिन जब सूरजमुखी तेल का दाम 910 डॉलर से बढ़कर 970-975 डॉलर प्रति टन हो गया तो इन तेल विशेषज्ञों को अचानक चिंता होने लगी कि खाद्य तेलों की महंगाई बढ़ रही है। अगर सूरजमुखी के दाम 2,500 डॉलर वाले स्तर के हिसाब से देखें तो 970-975 डॉलर का भाव बहुत ऊंचा नहीं कहा जा सकता।
सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों के थोक बाजार के दाम में भारी कमी आई है लेकिन खुदरा बाजार में यही दाम कीमतों को ऊंचा कर रखा है जिसे रोकने के समुचित उपाय करने की जरूरत है। लेकिन इस बारे में कोई चिंता करते नहीं नजर आते।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,260-5,300 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,070-6,345 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,550 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,210-2,475 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 9,950 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,700-1,800 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,700 -1,815 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,675 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,300 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,860-4,880 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,660-4,700 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
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