नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) त्योहारों का मौसम नजदीक आने के बीच मांग सुधरने के कारण घरेलू तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल के दाम मामूली सुधार दर्शाते बंद हुए। वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 16-17 प्रतिशत नीचे थोक दाम में कामकाज अपेक्षाकृत सुस्त रहने के बावजूद मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्व सप्ताह के बंद स्तर पर स्थिर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि गत सप्ताह विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम में सुधार का रुख देखने को मिला। साथ ही रुपया भी कमजोर हुआ है। इसके अलावा जो आयातक पहले बंदरगाहों पर आयातित सोयाबीन डीगम तेल को लागत से लगभग तीन प्रतिशत नीचे थोक दाम पर बेच रहे थे, बीते सप्ताह उन्हें इसी आयातित तेल को लागत से लगभग पांच प्रतिशत नीचे थोक दाम पर बिक्री करते देखा गया।
उन्होंने कहा कि आयातकों के साथ साथ तेल-उद्योग की आर्थिक हालत अच्छी नहीं रह गई है। बैंकों में अपना ऋण साख पत्र (लेटर आफ क्रेडिट) को चलाते रहने के लिए, बैंकों द्वारा ऋण लौटाने के लिए 180 दिन की मोहलत के होने के बावजूद ये आयातक आर्थिक बदहाली के कारण माल रोकने की स्थिति में नहीं हैं और लागत से कम थोक दाम पर सोयाबीन डीगम तेल बेच रहे हैं। अगली खरीफ फसल भी डेढ़-दो महीने में आ जायेगी। इन स्थितियों की ओर सरकार को गंभीरता से ध्यान देना होगा।
सूत्रों ने कहा कि जब पहले के कम एमएसपी वाला सोयाबीन और मूंगफली बाजार में नहीं खप रहा है तो अधिक एमएसपी वाला अगला खरीफ सोयाबीन और मूंगफली कैसे खपेगा? देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनाना ही एक रास्ता हो सकता है। इसका कोई समाधान निकालना ही देश को तेल-तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का रास्ता दिखायेगा।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को खाद्य तेलों में विशेषकर सरसों के ऊंचे खुदरा दाम की स्थिति से निपटने के लिए इनका राशन की दुकानों से वितरण कराने की व्यवस्था के बारे में सोचना चाहिये। बाकी सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी जैसे खाद्य तेलों के थोक दाम एमएसपी से काफी कम ही हैं। इन बाकी तेलों के ऊंचे खुदरा दाम की चिंता का समाधान इनके खुदरा दामों या अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की एक सरकारी वेब पोर्टल पर नियमित जानकारी उपलब्ध कराना अनिवार्य बनाकर किया जा सकता है।
सरकार को सरसों की बिक्री स्टॉकिस्ट के बजाय उन तेल मिलों को करने के बारे में सोचना चाहिये जो पेराई के बाद उपभोक्ताओं के लिए इन्हें बाजार में लाये।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को देश में कपास का उत्पादन बढ़ाने के बारे में भी गंभीरता से विचार करना होगा जिससे न सिर्फ हमें जरूरी कपास मिलता है बल्कि इससे निकलने वाले लगभग 60 प्रतिशत बिनौला खल का उपयोग मवेशी चारे के लिए होता है। लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र में मिलावटी और सस्ते बिनौला खल के बढ़ते कारोबार से किसानों के अपेक्षाकृत महंगे बिनौला खल का बाजार में खपना दूभर हो जाता है जिससे किसानों को नुकसान होता है। कपास उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य को हासिल करने के लिए मिलावटी बिनौला खल कारोबार पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि सरकार की गारंटी के बावजूद कपास किसानों को अपना अधिकतम स्टॉक एमएसपी से नीचे दाम पर बेचना पड़ रहा है। सहकारी संस्था नेफेड ने किसानों की लगभग 300 लाख गांठ में से 100 लाख गांठ की खरीद की है। लेकिन किसानों को बाकी बचे 200 लाख गांठ के लिए 7,021-7,521 रुपये क्विंटल के एमएसपी के मुकाबले हाजिर बाजार में 6,400-6,500 रुपये क्विंटल का ही दाम मिला है। इस विसंगति को दूर करने की आवश्यकता है।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 25 रुपये के सुधार के साथ 7,375-7,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि, सरसों दादरी तेल का थोक भाव 50 रुपये के सुधार के साथ 16,275 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 10-10 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 2,680-2,780 रुपये और 2,680-2,815 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 150-150 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,600-4,650 रुपये और 4,300-4,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। इसी प्रकार, सोयाबीन दिल्ली का दाम 50 रुपये के सुधार के साथ 13,125 रुपये, सोयाबीन इंदौर तेल का दाम 75 रुपये सुधार के साथ 12,725 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 25 रुपये के सुधार के साथ 10,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम स्थिर बने रहे। मूंगफली तिलहन का थोक दाम 5,900-6,275 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव क्रमश: 14,000 रुपये क्विंटल और 2,280-2,580 रुपये प्रति टिन पर अपरिवर्तित रुख के साथ बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 70 रुपये के सुधार के साथ 11,120 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 150 रुपये के सुधार के साथ 12,850 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 100 रुपये के सुधार के साथ 11,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
बाजार के आम रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 100 रुपये बढ़कर 13,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.