बेंगलुरु: अधिक देनदारियां, उत्पाद शुल्क में वृद्धि और विभिन्न विभागों के लिए बड़े राजस्व लक्ष्य निर्धारित करना. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को अपने बजट में यही निर्धारित किया है क्योंकि उनकी सरकार मुफ्त बिजली योजना सहित कांग्रेस पार्टी के पांच प्रमुख चुनावी वादों को वित्तपोषित करने की कोशिश कर रही है.
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद अपना पहला बजट पेश करते हुए, सिद्धारमैया ने भारत में निर्मित शराब (आईएमएल) के सभी 18 स्लैबों पर 20 प्रतिशत और बीयर पर 10 प्रतिशत शुल्क बढ़ा दिया.
राज्य ने मार्गदर्शन मूल्य – सरकार द्वारा तय की गई संपत्ति का न्यूनतम मूल्य – को संशोधित करने की भी योजना बनाई है. इससे घर और संपत्ति खरीदारों के लिए स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन टैक्स में भी वृद्धि होगी, हालांकि, बढ़ोतरी का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है.
ये बढ़ोतरी, जिससे सरकार को उम्मीद है कि अधिक राजस्व उत्पन्न करने में मदद मिलेगी, विशेष रूप से कांग्रेस सरकार की पांच प्रमुख गारंटियों – 200 यूनिट मुफ्त बिजली (गृह ज्योति), परिवार की महिला मुखिया के लिए 2,000 रुपये प्रति माह (गृह लक्ष्मी), महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा (उचिता प्रयाण), प्रत्येक आर्थिक रूप से पिछड़े घर में प्रति व्यक्ति 10 किलो चावल (अन्न भाग्य) और बेरोजगार ग्रेजुएट और डिप्लोमा धारकों के लिए वित्तीय सहायता (युवा निधि) के आलोक में महत्वपूर्ण है.
10 मई को कर्नाटक चुनाव से पहले चुनावी वादों के रूप में की गई इन गारंटियों से राज्य के खजाने पर 60,000 रुपये का भारी खर्च होने का अनुमान है और राज्य के संसाधनों के इससे सिकुड़ने का अनुमान है.
अपने भाषण में सिद्धारमैया, जिनके पास वित्त विभाग भी है, ने गारंटी के लिए 3.27 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कुल परिव्यय में से 52,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए. उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर राज्य की विकास दर में गिरावट और कर्ज में बढ़ोतरी का आरोप लगाया. उनके अनुसार, 2022-23 के अंत में कर्नाटक का कुल बकाया कर्ज 5.16 लाख करोड़ रुपये था – जो 2017-18 के अंत तक 2.45 लाख करोड़ रुपये हो गया था.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जुलाई 2019 में राजनीतिक संकट के बाद कांग्रेस और उसके तत्कालीन सहयोगी जनता दल (सेक्युलर) की गठबंधन सरकार गिर गई. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में येदियुरप्पा और फिर बसवराज बोम्मई के अधीन सरकार बनी.
“पिछली सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था खराब हो गई…कर्नाटक राजकोषीय अनुशासन के कड़ाई से पालन के लिए जाना जाता है. हालांकि, पिछली सरकार अपने कार्यकाल के दौरान राजकोषीय अनुशासन का पालन करने में विफल रही है.” सिद्धारमैया ने अपने 112 पेज के बजट को पढ़ते हुए कहा कि राज्य को राजस्व में कमी की भरपाई के लिए इस वित्तीय वर्ष में 85,818 करोड़ रुपये उधार लेने की उम्मीद है.
यह चालू वित्त वर्ष का अंतिम बजट है – जबकि पूर्व सीएम बोम्मई ने फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था, उनकी सरकार मई में चुनाव हार गई थी.
यह सिद्धारमैया का लगातार 14वां बजट है, हालांकि, मुख्यमंत्री के रूप में यह उनका सातवां बजट है.
यह भी पढ़ें: ‘अनुशासनहीन पार्टी’, विपक्ष के नेता के बिना कर्नाटक का बजट सत्र शुरू, सिद्धारमैया ने BJP पर कसा तंज
राजस्व घाटा बजट
सिद्धारमैया ने शुक्रवार को अपना पहला राजस्व घाटे का बजट भी पेश किया. उनके अनुसार, कुल राजस्व 2,38,409.81 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जबकि कुल व्यय 2,50,932 करोड़ रुपये होने का अनुमान है – 12,523 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा दर्ज किया गया है. मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि उनकी सरकार “गारंटियों को पूरा करने के लिए धन आवंटन के कारण” राजस्व अधिशेष बजट पेश नहीं कर सकी.
उनके अनुसार, सरकार को उत्पाद शुल्क और परिवहन करों से 1,000 करोड़ रुपये, स्टांप और पंजीकरण करों से 6,000 करोड़ रुपये और खानों और भूविज्ञान से 1,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, इसके अलावा सरकार अतिरिक्त 8,000 करोड़ रुपये उधार लेगी.
फरवरी में बोम्मई ने 3,09,182 करोड़ रुपये का बजट पेश किया – ये वो समय था जब पहली बार राज्य का बजट 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक था.
कांग्रेस सरकार पहले ही महिलाओं के लिए मुफ्त सार्वजनिक बस यात्रा लागू कर चुकी है और वर्तमान में शेष के लिए तौर-तरीकों पर काम कर रही है. इसने सभी पात्र लाभार्थियों को अतिरिक्त 5 किलो चावल के बराबर नकद देने की घोषणा की है जब तक कि राज्य को खाद्यान्न की स्थिर आपूर्ति नहीं मिल जाती.
केंद्र द्वारा राज्यों को केंद्रीय पूल से चावल और गेहूं के लिए बोली लगाने की अनुमति देने की अपनी नीति को बंद करने के बाद इसने खुले बाजार से चावल खरीदने के लिए निविदाएं भी आमंत्रित की हैं.
फरवरी में बोम्मई ने कहा था कि कर्नाटक को चालू वित्त वर्ष में 77,750 करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान है और केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 37,252 करोड़ रुपये और संघ से अनुदान के रूप में 13,005 करोड़ रुपये प्राप्त करने की उम्मीद है.
हालांकि, अपने भाषण में सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर कर्नाटक के “संसाधनों को साझा नहीं करने” का आरोप लगाया, जिससे राज्य में नकदी संकट बढ़ गया.
सीएम ने कहा, “केंद्र सरकार राज्यों के साथ एकत्र किए गए उपकर (सेस) और अधिभार को हस्तांतरण के रूप में साझा नहीं करती है. करों पर लगाए गए उपकर और अधिभार में वृद्धि से राज्य को कर हस्तांतरण हिस्सेदारी में कमी आई है.”
सीएम ने राज्यों को जीएसटी मुआवजा देना बंद करने के केंद्र सरकार के फैसले को भी राज्य की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, जुलाई 2022 में लिए गए फैसले से चालू वित्त वर्ष में लगभग 26,954 करोड़ रुपये की कमी हुई है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है.
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि गारंटियों के लिए अधिक वित्तीय जगह बनाने के अपने “पुनर्प्राथमिकता” अभ्यास के हिस्से के रूप में सरकार “फिज़ूल खर्च” को छोड़ देगी. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि किन योजनाओं में कटौती की जाएगी.
बीजेपी ने इसे “राजनीतिक बजट” बताया है. बोम्मई ने भाजपा की आलोचना में लगभग 50 पैराग्राफ समर्पित करने के लिए सिद्धारमैया की आलोचना की.
बोम्मई ने संवाददाताओं से कहा, “उन्होंने (कांग्रेस) कहा कि गारंटी को पूरा करने के लिए उन्हें 52,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. चूंकि, लगभग आधा साल बीत चुका है, इसलिए कर बढ़ाने या अधिक कर्ज़ लेने की कोई ज़रूरत नहीं है.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: सिद्धारमैया सरकार ने पाठ्यपुस्तकों में किए बदलाव, धर्मांतरण विरोधी कानून को निरस्त करने को दी मंजूरी