नयी दिल्ली, 15 मार्च (भाषा) व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि कुछ बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने का प्रयास कर रही हैं।
कैट ने ऐसी कंपनियों के खिलाफ कड़ी प्रवर्तन कार्रवाई की मांग की है।
कैट ने मंगलवार को ई-कॉमर्स नीति पर श्वेत-पत्र जारी करते हुए कहा कि इन कंपनियों के पास भारी पूंजी का लाभ है।
व्यापारियों के संगठन ने कहा कि इन कंपनियों ने ‘‘विक्रेताओं के साथ मार्केटप्लेस पर अपने संबंधों को इस तरह बनाया हुआ है कि वे अपने मंच पर विक्रेता या भंडार (इन्वेंट्री) पर नियंत्रण करने की स्थिति में हैं और साथ ही प्रवर्तन एजेंसियों की जांच से भी बच निकलती हैं।’’
कैट ने कहा, ‘‘विक्रेताओं पर इस तरह के नियंत्रण या स्वामित्व की आड़ में यह मुद्दा केवल एफडीआई नीति के उल्लंघन का नहीं है, बल्कि प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण का भी है।’’
कैट ने कहा कि सरकारी नीति के तहत एकल-ब्रांड खुदरा कारोबार में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है, जबकि बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में मंजूरी मार्ग से 51 फीसदी तक एफडीआई की अनुमति है। इसमें भी सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों तथा छोटे व्यापारियों के कारोबार की रक्षा के लिए कई शर्तें शामिल हैं।
कैट ने कहा कि भंडार आधारित ई-कॉमर्स कारोबार कुछ और नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संचालित बहु-ब्रांड खुदरा स्टोर है और एफडीआई नीति के तहत ई-कॉमर्स के इस तरह के मॉडल में एफडीआई की अनुमति नहीं है।
हालांकि, प्रौद्योगिकी के प्रसार और इसके जरिये एमएसएमई और किराना की मदद करने को ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस स्थापित करने के लिए स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। लेकिन इसके साथ एक ‘शर्त’ भी जुड़ी है कि इस तरह के प्रौद्योगिकी मंच का संचालन करने वाली कोई भी संस्था मंच पर किसी भी विक्रेता के भंडार या इन्वेंट्री का स्वामित्व / नियंत्रण नहीं करेगी क्योंकि यह बहु-ब्रांड खुदरा व्यापार के संचालन के समान होगा।
कैट ने कहा कि ये शर्तें सख्त होने के साथ-साथ स्पष्ट भी हैं लेकिन कुछ बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियां जिनके पास काफी कोष उपलब्ध है उन्होंने एफडीआई की शतों का उल्लंघन करने का प्रयास किया है।
भाषा मानसी अजय
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