मुंबई, 10 जून (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुंबई महानगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) को मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड के साथ विवाद के संबंध में अदालत की रजिस्ट्री में 1,169 करोड़ रुपये की मध्यस्थता राशि जमा करने का निर्देश दिया। मुंबई मेट्रो वन अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी है।
महाराष्ट्र सरकार की एजेंसी एमएमआरडीए ने मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लि. (एमएमओपीएल) के साथ मेट्रो परियोजना की लागत सहित विभिन्न विवादों के लिए तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण द्वारा पारित दो आदेशों को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था।
एमएमआरडीए ने एक आवेदन में याचिका पर सुनवाई और फैसला होने तक मध्यस्थता आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया।
इस पर अदालत ने कहा कि इस मामले में बिना किसी जमा राशि के स्थगन देना मध्यस्थता आदेशों को शक्ति और प्रासंगिकता देने के लिए किए गए स्पष्ट विधायी हस्तक्षेप के विपरीत होगा।
अदालत ने कहा कि बिना शर्त स्थगन के लिए कोई मामला नहीं बनता है। यदि एमएमआरडीए 15 जुलाई तक पूरी राशि जमा कर देता है, तो उसकी याचिका पर अंतिम सुनवाई और फैसला आने तक मध्यस्थता आदेश पर अमल रोक दिया जाएगा।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और एमएमआरडीए का एक संयुक्त उद्यम एमएमओपीएल, वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर कॉरिडोर पर मुंबई की पहली मेट्रो रेल का संचालन करता है। इसमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की 74 प्रतिशत हिस्सेदारी है, बाकी एमएमआरडीए के पास है। दोनों पक्षों के बीच विवाद 2007 के समझौते के तहत मेट्रो रेल के विकास, डिजाइन, इंजीनियरिंग, वित्तपोषण, खरीद, निर्माण, संचालन और रखरखाव से संबंधित है।
मेट्रो रेल परियोजना दो साल से अधिक की देरी से शुरू हुई। एमएमओपीएल ने दावा किया कि परियोजना की लागत 2,356 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,321 करोड़ रुपये हो गई, जिसका एमएमआरडीए ने विरोध किया।
भाषा पाण्डेय रमण
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