नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को कारोबार का मिला जुला रुख दिखाई दिया। सस्ते आयातित तेलों की देश में बढ़ती भरमार और मांग कमजोर होने से सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल जैसे देशी तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट आई जबकि विदेशी बाजारों में मजबूती के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के दाम में मामूली तेजी रही। मूंगफली तेल तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में दो प्रतिशत की मजबूती है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल 0.3 प्रतिशत तेज है। लेकिन इसका कारोबार पर कोई विशेष असर नहीं है क्योंकि लिवाल कम हैं।
सूत्रों ने कहा कि देश में सस्ते आयातित तेलों का आयात इतना अधिक हुआ है कि देशी तेल तिलहनों के बिकने की स्थिति समाप्त हो गयी है। सरकार को आगे और इंतजार किये बिना तत्काल आयातित तेलों पर आयात शुल्क अधिकतम करने के बारे में सोचना चाहिये। सरकार ने सोयाबीन तेल के शुल्कमुक्त आयात की एक अप्रैल 2023 तक जो छूट दे रखी है उसे खत्म करना चाहिये और इस तेल पर आयात शुल्क बढ़ाने के अलावा सूरजमुखी तेल पर भी आयात शुल्क अधिकतम सीमा तक बढ़ा देना चाहिये। तभी देशी तेल तिलहन बाजार में खपेंगे और जिससे किसानों को आगे तिलहन उत्पादन बढ़ाने की प्रेरणा और मनोबल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि सूरजमुखी का तेल आम तौर पर सोयाबीन से अधिक रहता आया है लेकिन अभी इसका आयात का भाव सोयाबीन तेल से लगभग 100 डॉलर नीचे चल रहा है। बंदरगाह पर इसका थोक भाव 89 रुपये लीटर है जबकि देश के सूरजमुखी उत्पादक किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के हिसाब से भाव लगभग 135 रुपये लीटर बैठता है। अगर आयातित सूरजमुखी तेल 89 रुपये लीटर बना रहा तो देश के किसान आगे सूरजमुखी क्यों बोयेंगे?
सूत्रों ने कहा कि देश, खाद्यान्न, दाल जैसे जिंसों में लगभग आत्मनिर्भरता हासिल कर चुका है लेकिन तिलहन में ऐसा क्यों नहीं हुआ? इस पर सोचने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि सरकार को बगैर इंतजार किये आयात शुल्क बढ़ाने के बारे में सोचना होगा तभी देशी तेल तिलहन खपेंगे और किसानों का भरोसा भी मजबूत होगा। देश के तिलहन खपने से हमें मुर्गीदाने के लिए डीआयल्ड केक (डीओसी) और मवेशी चारे के लिए खल प्राप्त होंगे जो दूध, दुग्ध उत्पाद, अंडे, चिकेन आदि की कीमत को कम कर सकते हैं।
बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,655-5,705 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,775-6,835 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,550 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,900-1,930 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,860-1,985 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,380 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,900 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,430 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,430-5,560 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 5,170-5,190 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश रमण
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