मुंबई, चार सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के पालघर जिले में रविवार को एक सड़क हादसे में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की असामयिक मौत ने टाटा समूह के साथ उनके लंबे समय तक चले कानूनी विवाद को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।
वर्ष 2012 में टाटा संस के चेयरमैन बनाए गए मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को पद से अचानक हटा दिया गया था। उसके बाद से वह कई वर्षों तक टाटा समूह के मुखिया रतन टाटा और इसके प्रबंध ट्रस्टी एन वेंकटरामन एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लंबी कानूनी लड़ाई में उलझे रहे।
मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद रतन टाटा को समूह की प्रतिनिधि कंपनी का अंतरिम चेयरमैन बनाया गया था।
दिसंबर 2016 में मिस्त्री और उनके परिवार की तरफ से संचालित दो फर्मों- साइरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में इस निष्कासन को चुनौती दी थी। इन फर्मों ने टाटा समूह द्वारा अल्पांश हितधारकों के उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाया था।
हालांकि एनसीएलटी की एक विशेष पीठ ने 9 जुलाई, 2018 को मिस्त्री और दो फर्मों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करने के साथ ही कहा था कि टाटा संस का निदेशक मंडल कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन को हटाने के लिए सक्षम था।
मिस्त्री ने इस आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष अपील की जहां से उन्हें राहत मिली। दिसंबर 2019 में अपीलीय पंचाट ने कहा कि चेयरमैन पद से मिस्त्री का निष्कासन अवैध था और उन्हें उस पद पर बहाल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही एनसीएलएटी ने इस आदेश के खिलाफ अपील करने की टाटा समूह को छूट भी दी थी।
टाटा संस की अपील पर उच्चतम न्यायालय ने जनवरी 2020 में मिस्त्री को पद पर बहाल करने के एनसीएलएटी के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। मार्च 2021 में शीर्ष अदालत ने अपने अंतिम निर्णय में एनसीएलएटी के आदेश को निरस्त भी कर दिया।
इसके बाद मिस्त्री ने उच्चतम न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिसे इस साल मई में खारिज कर दिया गया। इसके साथ ही मिस्त्री और टाटा समूह के बीच छह साल लंबी कानूनी लड़ाई का पटाक्षेप हो गया था।
भाषा प्रेम मानसी
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