नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अलग-अलग याचिकाओं पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेता सोरेन के खिलाफ जांच का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने को तैयार हो गई है। सोरेन पर राज्य के खनन मंत्री के तौर पर एक खनन पट्टा खुद को आवंटित करने का आरोप है।
न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने पक्षकारों के वकीलों की दलीलें सुनी।
पीठ ने कहा, ‘‘पक्षकारों के वकीलों की दलीलें सुनी। आदेश सुरक्षित रखा जाता है। चूंकि शीर्ष न्यायालय के पास यह विषय है इसलिए उच्च न्यायालय विषय पर आगे नहीं बढ़ेगा।’’
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि याचिका की एक प्रति संलग्नक और पक्षकारों द्वारा दी गई दलीलें रिकार्ड में रखी जाए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरूपयोग किया और खुद को एक खनन पट्टा से फायदा पहुंचाया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे में हितों का टकराव और भ्रष्टाचार, दोनों शामिल है।
उन्होंने आरोप लगाया था कि जन प्रतिनिधितव अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।
विवाद का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने मई में सोरेन को एक नोटिस भेज कर उन्हें जारी किये गये खनन पट्टा पर उनका स्पष्टीकरण मांगा था। यह पट्टा उन्हें उस वक्त जारी किया गया था जब खनन एवं पर्यावरण विभाग उनके पास था।
झारखंड उच्च न्यायालय में दायर याचिका में, खनन पट्टा प्रदान किये जाने में कथित अनियमितताओं की जांच का अनुरोध किया गया था। साथ ही, मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों एवं सहयोगियों से कथित तौर पर संबद्ध कुछ फर्जी कंपनियों के लेनदेन की भी जांच का आग्रह किया गया था।
भाषा सुभाष पवनेश
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