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Sunday, 22 December, 2024
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सकल मूल्य वर्धन में 2025-26 तक माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र का 3.5 प्रतिशत तक होगा योगदान: अध्ययन

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कोलकाता, तीन मार्च (भाषा) अर्थव्यवस्था के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों (माइक्रोफाइनेंस) का प्रभाव 2025-26 तक 2.7 से 3.5 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है।

एक अध्ययन रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गई।

माइक्रो फाइसेंस संस्थाओं के संघ एमएफआईएन और शोध संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार रिपोर्ट ‘भारत की अर्थव्यवस्था में माइक्रोफाइनेंस का वर्तमान और संभावित योगदान’ में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के योगदान का विश्लेषण किया गया है।

यह विश्लेषण आय या सकल मूल्य वर्धन में योगदान के रूप में किया गया, जो राष्ट्रीय आर्थिक उत्पादन और रोजगार को मापता है।

एमएफआईएन-एनसीएईआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 के दौरान भारत के जीवीए में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र का योगदान 2.03 प्रतिशत था।

रिपोर्ट में कहा गया कि 2025-26 तक कुल जीवीए में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र का अनुमानित योगदान कम से कम 2.7 प्रतिशत और अधिकतम स्थिति में लगभग 3.5 प्रतिशत होगा।

एमएफआईएन के सीईओ और निदेशक आलोक मिश्रा ने कहा, ‘‘हालांकि, माइक्रोफाइनेंस वित्तीय क्षेत्र का केवल एक छोटा सा हिस्सा है, लेकिन इस क्षेत्र से लगभग 1.28 करोड़ रोजगार सृजित होते हैं, जबकि एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा 38.54 लाख नौकरियां दी जाती हैं।’’

एनसीएईआर की महानिदेशक पूनम गुप्ता ने कहा, ‘‘माइक्रोफाइनेंस कम आय वाले परिवारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक प्रमुख साधन के रूप में उभरा है।’’

भाषा पाण्डेय रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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