नई दिल्ली: भारत के कई राज्य बढ़ती गर्मी और थर्मल पावर स्टेशनों में कोयले की कमी के कारण लगातार बिजली कटौती से जूझ रहे हैं. कोयले की कमी का सामना करने वाले राज्यों में दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं.
दिल्ली में संकट
दिल्ली सरकार ने गुरुवार को मेट्रो और अस्पतालों समेत कई प्रतिष्ठानों में बिजली संकट होने की आशंका जताई है. दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने स्थिति का आकलन करने के लिए एक आपातकालीन बैठक की और केंद्र को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि राजधानी को बिजली की आपूर्ति करने वाले पावर प्लांट को कोयले मुहैया कराया जाए.
सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘दादरी-II और ऊंचाहार बिजली स्टेशनों से बिजली सप्लाई बाधित होने से दिल्ली मेट्रो और अस्पतालों समेत कई संस्थानों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति में समस्या हो सकती है.’
फिलहाल, इन पावर स्टेशनों से दिल्ली में 25-30 प्रतिशत डिमांड पूरी होती है.
उन्होंने कहा कि सरकार स्थिति की निगरानी कर रही है और लोगों इस संकट का सामना ना करें इसके लिए भी हर संभव कोशिश की जा रही है.
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‘केंद्र मदद नहीं कर रहा’
महाराष्ट्र भी गर्मी और पावर सप्लाई की दोहरी मार झेल रहा है. महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने भी कहा कि उनका राज्य कोल इंडिया कोयले की सप्लाई काफी कम रहा है. उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि वो इस बारे में हमारी कोई मदद नहीं कर रही है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र को 25 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत है लेकिन सिर्फ 21 से 22 हजार मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है.
पंजाब में ठप थर्मल पावर प्लांट
थर्मल प्लांट में कोयले की कमी के कारण पंजाब में भी बिजली संकट गहरा गया है. खबरों के मुताबिक राज्य में 15 थर्मल पावर प्लांट में से चार बंद हैं.
पांच थर्मल पावर में 5,680 मेगावाट के मुकाबले सिर्फ 3,327 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है. हालांकि पहले ही बिजली की मांग 7,500 मेगावाट पहुंच गई है. इसके कारण पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनिर्धारित बिजली कटौती करना शुरू कर दिया है.
PSPCL का कहना है कि प्रदेश को जून तक संकट का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि केंद्र की तरफ से पंजाब को कोयला देने वाली खदान पिछले कई दिनों से बंद है. बता दें यह खदान झारखंड स्थित है.
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अन्य राज्यों का हाल
जम्मू-कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक उपभोक्ताओं को दो घंटे से आठ घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. बिजली कटौती से कारखाने सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
देश में बिजली की कुल कमी 62.3 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई है. यह आंकड़ा मार्च में कुल बिजली की कमी से अधिक है.
इस संकट के केंद्र में कोयले की कमी है. देश में कोयले से 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होता है. सरकार दावा कर रही है कि मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध है लेकिन बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार नौ सालों में सबसे कम हैं.
इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी के साथ कोयले के आयात में गिरावट आई है.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने कहा कि देशभर के ताप संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहे हैं, जो देश में बिजली संकट का संकेत है.
देश में 27 अप्रैल को बिजली की अधिकतम मांग 200.65 गीगावॉट रही जबकि व्यस्त समय में बिजली की कमी 10.29 गीगावॉट थी.
ताजा आंकड़ों से पता चला है कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) की निगरानी वाले 147 संयंत्रों में 26 अप्रैल को कोयला भंडार मानक का 25 प्रतिशत था.
भारत में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 3,000 मेगावॉट बिजली की कमी है. लगभग 23,000 मेगावॉट की मांग के मुकाबले आपूर्ति सिर्फ 20,000 मेगावॉट है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में बिजली कटौती की जा रही है.
कश्मीर घाटी अपने सबसे बुरे बिजली संकट का सामना कर रही है. यहां रमजान के पवित्र महीने में लंबे समय तक कटौती ने लोगों को परेशान कर दिया है.
बिजली विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अप्रैल में आपूर्ति लगभग 900 से 1,100 मेगावॉट थी जबकि मांग 1,600 मेगावॉट थी.
तमिलनाडु में राज्य सरकार ने कहा कि केंद्रीय ग्रिड से 750 मेगावॉट की कमी के कारण राज्य के कुछ हिस्सों में बिजली कटौती हुई.
आंध्र प्रदेश को मांग के मुकाबले लगभग पांच करोड़ यूनिट बिजली की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
पंजाब के होशियारपुर में अनियमित बिजली आपूर्ति के विरोध में किसानों ने वाहनों की आवाजाही रोक दी.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी माना है कि राज्य मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है और बाजार से बिजली खरीदने के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराया गया है.
ओडिशा सरकार ने दावा किया कि अप्रैल के अंत तक राज्य में बिजली संकट खत्म हो जाएगा. राज्य में बड़ी आबादी ने गर्मी के बीच बिजली कटौती की शिकायत की है. बिहार और उत्तराखंड में भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगातार बिजली कटौती हो रही है.
राजस्थान में बिजली की मांग में 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जिससे रोजाना पांच से सात घंटे बिजली की कटौती की जा रही है.
हरियाणा के बिजली मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने कहा कि अगले कुछ दिनों में उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली उपलब्ध हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इस समय मांग के मुकाबले आपूर्ति में 300 मेगावॉट से अधिक की कमी है, जिसे शनिवार तक पूरा कर लिया जाएगा.
दूसरी ओर मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार के अधिकारियों ने दावा किया कि राज्य में कोई निर्धारित लोड शेडिंग नहीं है. पश्चिम बंगाल सरकार ने भी ऐसा ही दावा किया है.
‘अडानी से लेंगे बिजली’
हरियाणा के गुरुग्राम में कम से कम छह घंटे की बिजली कटौती हो रही है. यहां बिजली की मांग 9,000 मेगावाट तक पहुंच गई और आपूर्ति में 1,500 मेगावाट की कमी आई है.
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) ने बताया कि गुरुवार शाम तक चार से छह घंटे तक बिजली गुल रही.
दिन के अलग-अलग समय में 15 मिनट से लगभग एक घंटे तक बिजली कटौती हो रही है और संभावना है कि शुक्रवार और अगले कुछ दिनों में गुरुग्राम में और बिजली जा सकती है.
हांलाकि हरियाणा सरकार ने दावा किया है कि एक हफ्ते के भीतर ही राज्य में बिजली संकट को सुलझा लेगी.
एक इंटरव्यू में हरियाणा के बिजली मंत्री सीएच रंजीत सिंह ने कहा, ‘हम एक हफ्ते में स्थिति से निपट लेंगे. अडानी से 1200-1400 मेगावाट अतिरिक्त बिजली ली जाएगी. बिजली की खपत बढ़ी है. इसके अलावा 350 मेगावाट अतिरिक्त बिजली छत्तीसगढ़ से और 150 मेगावाट मध्यप्रदेश से ली जाएगी.’
खबरों के मुताबिक हरियाणा में बिजली गुल होने की स्थिति को भी प्रभावित करने वाले थर्मल पावर प्लांट की प्रमुख इकाई को बदलने का काम जल्द पूरा किया जाएगा.
‘657 पैसेंजर ट्रेनें रद्द’
रेलवे के सूत्रों ने एक निजी चैनल को बताया कि कोयला की आपूर्ति पूरी करने के लिए और उसे प्राथमिकता से भेजने के लिए 500 मेल, एक्सप्रेस ट्रेन ट्रिप और 148 कंप्यूटर ट्रेन ट्रिप समेत 657 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द किया जा सकता है. रेलवे ने अगले दो महीनों में कोयला रेक के मार्ग को बढ़ाने की भी योजना बनाई है.
भाषा के इनपुट से
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