(फाइल फोटो के साथ)
भोपाल, 16 फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को कहा कि प्रदेश सरकार की नई लॉजिस्टिक्स नीति राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और आगामी वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन (जीआईएस) में निवेशकों को आकर्षित करेगी।
‘इन्वेस्ट मध्य प्रदेश – वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन’ भोपाल में 24 और 25 फरवरी को निर्धारित है।
यादव ने लॉजिस्टिक्स नीति की विभिन्न विशेषताओं जैसे रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी), हरित कार्ड योजना, हरित औद्योगिकीकरण आदि को सूचीबद्ध किया।
यादव के अनुसार, हाल ही में शुरू की गई लॉजिस्टिक्स नीति की नवीनताएं लागत को कम करके आपूर्ति दक्षता में सुधार लाएंगी।
उन्होंने कहा, ‘नीति का उद्देश्य कुशल, विश्वसनीय और रणनीतिक रूप से टिकाऊ विश्वस्तरीय लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचा विकसित करना है ताकि 2030 तक लागत को वैश्विक मानकों तक कम किया जा सके।”
यादव ने कहा कि यह नीति मप्र को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए आकर्षक गंतव्य बनाएगी।
उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश लॉजिस्टिक्स नीति-2025 समग्र आर्थिक वृद्धि की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित होगी। यह आने वाले वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।”
उन्होंने कहा, ‘ई-डिलीवरी ऑर्डर पीसीएस वन प्रणाली से शुरू किए जाएंगे, जिससे लॉजिस्टिक्स प्रक्रियाएं अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी हो जाएंगी।’
यादव ने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के लिए समर्पित प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) जैसे प्रौद्योगिकी नवाचारों से सुरक्षा बढ़ेगी और माल की आवाजाही में तेजी आएगी।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ‘यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म’ को शामिल करने से लॉजिस्टिक्स आपूर्ति शृंखला में जानकारी का आदान-प्रदान सरल और तेज हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि नीति में हरित कार्ड योजना भी शामिल है, जो उन लॉजिस्टिक्स संचालकों को त्वरित स्वीकृति प्रदान करती है जो हरित परिवहन को अपनाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अंतर्देशीय और अंतरराष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स परिवहन के लिए उपयुक्त बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 20 से अधिक माल ढुलाई टर्मिनल विकसित कर रही है।
यादव ने कहा, “ये टर्मिनल अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे, जिससे माल ढुलाई में सुविधा होगी। परिवहन लागत कम होने से कारोबारियों का मुनाफा बढ़ेगा और राज्य में अधिक निवेश आकर्षित होगा।”
उन्होंने कहा कि निर्यात पार्क विकसित करने के प्रावधान नीति में शामिल किए गए हैं और इन पार्कों के विकासकर्ता को स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क पर 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति मिलेगी, साथ ही बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 40 करोड़ रुपये या प्रति एकड़ 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता भी मिलेगी।
यादव ने कहा कि निर्यातकों के लिए साझा प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए परियोजना लागत का 25 प्रतिशत या अधिकतम 25 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
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