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Friday, 15 November, 2024
होमदेशअर्थजगतअगर LIC आज अपने अडाणी शेयरों को बेचती है तो उसे करीब 11,000 करोड़ रुपये का लाभ होगा

अगर LIC आज अपने अडाणी शेयरों को बेचती है तो उसे करीब 11,000 करोड़ रुपये का लाभ होगा

जबकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद एलआईसी का 'नुकसान' राजनीतिक रोटियां सेंकने का जरिया बन गया है, गणना से पता चलता है कि भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के अडाणी कंपनियों में उसके द्वारा किए गए निवेश में 36% की वृद्धि हुई है.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट द्वारा एक विश्लेषण के मुताबिक भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पास अडाणी ग्रुप के जो शेयर वर्तमान में हैं उनसे वह लगभग 11,000 करोड़ रुपये के लाभ की स्थिति में है.

लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में, वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने सोमवार को एलआईसी द्वारा एक जनवरी की प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि “अडाणी समूह की सभी कंपनियों के तहत पिछले कई वर्षों में खरीदे गए इक्विटी का कुल खरीद मूल्य है. 30,127 करोड़ रुपये है.”

स्टॉक एक्सचेंजों के डेटा से पता चलता है कि एलआईसी के पास छह अडाणी कंपनियों में फैले 50.98 करोड़ शेयर हैं. सोमवार को इन शेयरों का क्लोजिंग प्राइस लेते हुए दिप्रिंट ने गणना की कि इन कंपनियों में एलआईसी के शेयरों का बाजार मूल्य वर्तमान में 41,087 करोड़ रुपये है.

इसका मतलब यह है कि जब से एलआईसी ने संबंधित अडाणी कंपनियों में निवेश किया है, तब से उसने 10,959 करोड़ रुपये का लाभ कमाया है. दूसरे शब्दों में, इसने अपने निवेश के मूल्य में 36 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी है.

शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी की जिसमें अडाणी समूह के खिलाफ कॉर्पोरेट कुशासन और धोखाधड़ी के कई आरोप लगाए गए थे, तभी से अडाणी कंपनियों में एलआईसी की होल्डिंग का मूल्य एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है.

अडाणी कंपनियों के शेयरों की कीमतों में बाद की तेजी से गिरावट आई जिसने सवाल खड़ा कर दिया कि एलआईसी ने इन कंपनियों में निवेश क्यों किया और इसके निवेश पर कितना नुकसान हो रहा है.

विपक्ष के सदस्यों ने एलआईसी द्वारा किए गए “नुकसान” को उजागर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया, प्रेस में टिप्पणी की, और संसद में भी बात की, और यह बताने की कोशिश की कि कैसे इसकी वजह से करदाताओं के पैसे का नुकसान हुआ.

निश्चित रूप से, स्टॉक रूट के शुरुआती दिनों में अडाणी के शेयरों पर एलआईसी द्वारा किए गए न तो ये लाभ और न ही नुकसान वास्तविक हैं. अर्थात्, वे केवल काल्पनिक रूप से मौजूद हैं. लाभ या हानि तभी वास्तविक होगी जब एलआईसी अडाणी कंपनियों में अपने शेयर बेचने का विकल्प चुनेगी.

अडाणी कंपनियों में एलआईसी की हिस्सेदारी उसके कुल पोर्टफोलियो का 1 प्रतिशत से भी कम है. इसलिए, यहां इसके निवेश पर नुकसान भी इसके कुल पूंजी पर सेंध नहीं लगा पाएगा.

वास्तव में, लोकसभा में जवाब के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की पांच जनरल इंश्योरेंस कंपनियों का अडाणी कंपनियों में उनकी कुल संपत्ति का सिर्फ 0.14 प्रतिशत का निवेश है.

बैंकों में अडाणी के ऋण जोखिम के बारे में ‘गोपनीयता’

हालांकि, सच तो है भारतीय बैंकों के लिए अडाणी कंपनियों का ऋण जोखिम, या उनके द्वारा भारतीय बैंकों से लिया गया ऋण बकाया.

कराड ने सोमवार को अपने जवाब में कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचित किया है कि आरबीआई उधारकर्ता स्तर के निवेश डेटा एकत्र नहीं करता है और ऐसी जानकारी को बनाए नहीं रखता है.”

उन्होंने कहा: “फिर, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और राष्ट्रीयकृत बैंकों ने बताया कि निष्ठा और गोपनीयता दायित्व के प्रावधान के अनुसार … वे अपने किसी से संबंधित या उनके मामलों से संबंधित किसी भी जानकारी का खुलासा नहीं कर सकते हैं.”

हालांकि, मंत्री कराड ने उन बयानों का उल्लेख किया, जो एसबीआई ने मीडिया को दिए हैं, जिसमें कहा गया है कि “एसबीआई का अडाणी समूह के लिए एक्सपोजर आरबीआई के बड़े एक्सपोजर फ्रेमवर्क से काफी नीचे है”, और यह कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली इसकी निगरानी कर रही है. पिछले 2-3 वर्षों में अडाणी कंपनियों के कुल कर्ज के प्रतिशत के रूप में उनका एक्सपोजर कम हुआ है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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