नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार का मानना है कि उसने 2021-22 के बजट में जो प्रावधान किए हैं उससे कहीं ज्यादा, जीवन बीमा निगम (एलआईससी) के शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) से आने की संभावना है. यह बात आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कही है.
दिप्रिंट के साथ हुई बातचीत में सेठ ने बताया कि ‘सरकार को पूरा भरोसा है कि एलआईसी के आईपीओ का काम मार्च 2022 के पहले पूरा कर लिया जाएगा. हालांकि अभी ‘ईश्यू’ के आकार पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है लेकिन यह तय है कि खाते में बड़े आवक की संभावना है.’
यह बातचीत केंद्रीय बजट 2022-23 के दो दिन बाद हुई. वित्त वर्ष 2022 में 78,000 करोड़ रूपये का विनिवेश लक्ष्य रखा गया है. यह अनुमानित बजट 1.75 करोड़ रुपए से कम है. वित्त वर्ष 2023 का लक्ष्य 65,000 करोड़ रुपये से भी कम रखा गया है.
वित्त वर्ष 2022 में, सरकार को 12,029 करोड़ रुपये का विनिवेश करने में सफलता मिल पाई है. इसमें कुछ सार्वजनिक संस्थाओं के माइनॉरिटी स्टेक का विनिवेश और एयर इंडिया का प्राइवेटाइजेशन करना शामिल है. करीब, 66,000 करोड़ रुपये की उगाही एलआईसी के आईपीओ से की जाने की योजना है.
सेठ ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में विनिवेश लक्ष्य से कम रखने के पीछे सरकार की मंशा यह है कि पूर्व निर्धारित वित्तीय गणित बाधित न हो. साथ ही, वित्त वर्ष 2023 में वित्तीय घाटे का लक्ष्य 6.4 प्रतिशत पर बना रहे.
बजट में चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित करते हुए 6.9 प्रतिशत रखा गया है. पहले यह लक्ष्य 6.9 प्रतिशत का था. यह बदलाव मामूली है.
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आर्थिक सर्वेक्षण, बजट में वित्त वर्ष 2023 में अलग वास्तविक जीडीपी
नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी की वृद्धि दर लगभग 7.5 प्रतिशत की रखी है. यह आर्थिक सर्वेक्षण के अनुमान 8 से 8.5 प्रतिशत से कम है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान से भी काफी दूर है. आईएमएफ ने जनवरी महीने में जारी अपने वर्ल्ड इकॉनामिक आउटलुक में, अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.
सेठ ने बताया, ‘मैं इसको (वास्तविक जीडीपी वृद्धि) 7.5 प्रतिशत के नज़दीक रखना चाहूंगा. अगर जीडीपी में मामूली बढ़ोतरी भी होती है, तो इसका असर बड़ा होगा.’
सामान्य जीडीपी वृद्धि का अनुमान वित्त वर्ष 2022-23 में 11.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. सेठ अनुमान लगाते हैं कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत संभावित है. ऐसे में अपस्फीतिकारक (डिफ्लेटर) जो ज्यादातर थोक मूल्यों पर आधारित होता है, उसके 3.6 से 4 प्रतिशत होने का अनुमान है.
सेठ ने बताया कि डिफ्लेटर इस साल कम रहने वाला है क्योंकि उसकी गणना पिछले साल के उच्च आधार पर होगी और उनका मानना है कि महामारी से निजात पाने के बाद कमोडिटी के मूल्यों में भी वैश्विक स्तर पर गिरावट होगी.
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कैपेक्स लक्ष्यों को पाने का विश्वास
क्या केंद्र के पास पूंजी के निर्माण में खर्च करने की पर्याप्त क्षमता होगी, इस विषय पर पूछे जाने पर सेठ ने बताया कि ‘राज्य सरकारों द्वारा भारी मात्रा में पूंजी लिए जाने की संभावना होगी.’
उन्होंने कहा, ‘राज्यों के पास अपार क्षमता है और उनके पास तमाम योजनाओं में निवेश की काफी संभावनाएं हैं, जिससे विकास की दर तेज होगी. इस बार केंद्र के द्वारा वित्तीय सहायता मुहैया कराई जानी है लेकिन जहां तक खर्च का सवाल है तो वह राज्य सरकारों के द्वारा किया जाना है.’
सेठ ने कहा कि वर्ष 2022-23 में कैपिटल एक्सपेंडिचर के लक्ष्य को पूरा किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘अगर आप चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पूंजीगत खर्चे को देखें तो महामारी के कारण यह काफी कठिनाई भरा दौर था. मुझे नहीं लगता कि 2022-23 की कम अवधि में यह कोई बड़ी चुनौती होगी.’
सरकार ने वित्त वर्ष 2023 के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपए का विशाल पूंजीगत खर्चे का लक्ष्य रखा है, जो बजट के कुल खर्च का पांचवा हिस्सा है. यह राशि पिछले वर्ष के 5.5 लाख करोड़ रुपये के खर्च से 35.4 प्रतिशत ज्यादा है. इसमें से राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपये 50 साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में पूंजीगत खर्च के लिए दिए जाएंगे. चालू वित्त वर्ष में 10,000 करोड़ की सीमा तय की गई है.
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अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में ऋण कम रहेगा
वित्तीय मामलों के सचिव ने बताया कि सरकार बांड मार्केट से जो ऋण, वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए लेगी वह बजट में दर्शाए गए अनुमान से कम रहने की संभावना है.
इस अनुमान के पीछे का तर्क यह है कि सरकार ने छोटी बचतों में फ्लो के लिए पिछले वर्ष की तुलना में पूंजी की कम राशि रखी है. फिलहाल अगर कम बचतों से अच्छी राशि आंकलन से ज्यादा होती है, तो ऋण की राशि उस सीमा तक जा सकती है.
उन्होंने आगे बताया, ‘हमने छोटी बचतों के इस्तेमाल का लक्ष्य 4.25 लाख रूपए रखे हैं जिससे बजटीय घाटे की भरपाई की जाएगी. इस बात का आधार यह है कि निवेशकों को अगले साल निवेश के नए मार्ग मिलेंगे..हां जो आंकलन किए गए हैं उनकी संख्या में कमी जरूरी हो सकती है.’
चालू वित्त वर्ष में सरकार अपने वित्तीय घाटे की तिहाई को छोटे वित्तीय कलेक्शन से पूरा कर रही है. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार ने अपने घाटे को पूरा करने के लिए छोटी बचतों से 5.9 करोड़ रुपए की राशि इस्तेमाल की थी. जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार द्वारा 4.25 लाख करोड़ रुपए के उपयोग किए जाने की संभावना है.
वर्ष 2021-22 के वित्तीय घाटे को संशोधित करके 15.9 लाख करोड़ रुपए किया गया है (जीडीपी का 6.9 प्रतिशत). वित्त वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर 16.6 लाख करोड़ रुपए (6.4 प्रतिशत) हो गया है.
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