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Thursday, 2 May, 2024
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अंतरिक्ष क्षेत्र में एफडीआई के उदार मानकों को अधिसूचित किया गया

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नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) सरकार ने उपग्रह विनिर्माण और उपग्रह प्रक्षेपण यान क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में संशोधन को अधिसूचित कर दिया है।

मंगलवार को जारी गजट अधिसूचना के जरिये अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एफडीआई नीति में बदलाव किए गए हैं। इसमें एफडीआई के लिए उदार प्रवेश मार्ग निर्धारित किया गया है और उपग्रहों, प्रक्षेपण वाहनों और संबंधित प्रणालियों या उप-प्रणालियों में एफडीआई के लिए स्पष्टता लाई गई है।

इसके अलावा अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण और उसकी लैंडिंग के लिए स्पेसपोर्ट का निर्माण और अंतरिक्ष से संबंधित उपकरणों एवं प्रणालियों के विनिर्माण में भी विदेशी निवेश पर स्थिति स्पष्ट की गई है।

संशोधित नीति के तहत उदारीकृत प्रवेश मार्गों का उद्देश्य अंतरिक्ष में भारतीय कंपनियों में संभावित निवेशकों को आकर्षित करना है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल की शुरुआत में इन संशोधनों को मंजूरी दी थी।

गजट अधिसूचना में इन प्रावधानों को ‘विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण उपकरण) (तीसरा संशोधन) नियम, 2024’ कहा गया है।

यह अधिसूचना अमेरिकी कंपनी टेस्ला के मुखिया एलन मस्क की भारत यात्रा से कुछ दिन पहले जारी की गई है। मस्क 21-22 अप्रैल की अपनी भारत यात्रा के दौरान विभिन्न भारतीय अंतरिक्ष कंपनियों से मिल सकते हैं।

दरअसल, मस्क की उपग्रह-आधारित इंटरनेट परियोजना स्टारलिंक को भारत में लाइसेंस देने की प्रक्रिया इस समय अंतिम दौर में चल रही है।

अधिसूचना में उपग्रह विनिर्माण एवं संचालन, उपग्रह आंकड़ा उत्पादों और जमीनी संचालन और उपयोगकर्ता खंड के लिए स्वत: मंजूर मार्ग से 74 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है। वहीं 74 प्रतिशत से अधिक एफडीआई की मंजूरी सरकारी मार्ग से ही मिल सकती है।

प्रक्षेपण वाहनों और संबंधित प्रणालियों या उप-प्रणालियों के लिए 49 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है जबकि स्पेसपोर्ट का निर्माण स्वत: मंजूर मार्ग के तहत है, लेकिन 49 प्रतिशत से अधिक एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी होगी।

इसके अलावा उपग्रहों, जमीनी खंड और उपयोगकर्ता खंड के लिए घटकों और प्रणालियों/उप-प्रणालियों के निर्माण के लिए सरकारी अनुमति के बगैर 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है।

पुराने मानदंडों के तहत उपग्रहों के प्रस्थापन और संचालन में केवल सरकारी अनुमोदन मार्ग के जरिये ही एफडीआई की अनुमति थी।

भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 के तहत स्वीकृत दृष्टिकोण और रणनीति के अनुरूप मंत्रिमंडल ने विभिन्न उप-क्षेत्रों/ गतिविधियों के लिए उदार एफडीआई सीमा निर्धारित करके अंतरिक्ष क्षेत्र में एफडीआई नीति को आसान बना दिया है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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