अहमदाबाद, 18 अप्रैल (भाषा) देश के छह प्रमुख शहरों में हरित-प्रमाणित इमारतों में कार्यालय स्थानों की पट्टा मांग 2024 में 20 प्रतिशत बढ़कर 4.92 करोड़ वर्ग फुट हो गई। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
रियल एस्टेट क्षेत्र की शीर्ष संस्था क्रेडाई और रियल एस्टेट सलाहकार कोलियर्स इंडिया की शुक्रवार को यहां ‘रियल एस्टेट में पर्यावरण अनुकूल उपाय: हरित क्षितिज की ओर’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है, हरित-प्रमाणित इमारतों में कार्यालय स्थानों की पट्टा मांग 2024 में सालाना आधार पर 20 प्रतिशत बढ़कर 4.92 करोड़ वर्ग फुट हो गई, जो पिछले वर्ष 2023 में 4.1 करोड़ वर्ग फुट थी। हरित इमारतों का किराया अधिक होता है।
क्रेडाई के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर जी. पटेल ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘ भारत ने महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिनमें 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करना और 2030 तक कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम करना शामिल है। रियल एस्टेट कार्बन उत्सर्जन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार रहता है…ऐसे में हरित भवन गतिविधियों, ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों के उपयोग और नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण में इन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने की क्षमता है।’’
पटेल ने 2025-27 अवधि के लिए शुक्रवार को अध्यक्ष का पदभार संभाला।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में यह बदलाव पहले ही गति पकड़ चुका है तथा आवासीय, वाणिज्यिक तथा औद्योगिक स्थानों में हरित भवन अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
कोलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बादल याग्निक ने कहा, ‘‘ निर्माण उद्योग वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के काफी जिम्मेदार रहता है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का करीब 40 प्रतिशत है। रियल एस्टेट क्षेत्र परिवर्तन के चौराहे पर खड़ा है, जहां पर्यावरण अनुकूल उपाय अब एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है।’’
भारत में वर्ष 2024 तक हरित-प्रमाणित कार्यालय स्थान करीब 50.3 करोड़ वर्ग फुट था।
हरित प्रमाणित इमारतों को पर्यावरण अनुकूल इमारतें भी कहा जाता है। ये ऐसे भवन होते हैं जो ऊर्जा, पानी तथा अन्य संसाधनों का कुशल इस्तेमाल करते हैं। साथ ही प्रदूषण तथा अपशिष्ट में इनका योगदान कम रहता है और पर्यावरण पर कम प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
भाषा निहारिका रमण
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