नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) नीति आयोग के पूर्व चेयरमैन राजीव कुमार ने बुधवार को कहा कि सरकार को आगामी अंतरिम बजट में पूंजीगत व्यय पर अपना ध्यान जारी रखने की जरूरत है, क्योंकि निजी निवेश ‘‘अब भी कमजोर’’ है।
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे की कमी को पाटने की जरूरत है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है।
कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के कार्यकाल में पूंजीगत व्यय में वृद्धि से बुनियादी ढांचे की बेहतर गुणवत्ता के परिणाम सामने आ रहे हैं और भारतीय उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इसकी बेहद आवश्यकता थी।
उन्होंने कहा कि बढ़ते अप्रत्यक्ष कर राजस्व और बढ़ते प्रत्यक्ष कर आधार से वित्त मंत्री राजकोषीय समेकन लक्ष्य भी हासिल कर लेंगी।
कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘ पूंजीगत व्यय पर जोर जारी रहेगा क्योंकि निजी निवेश अब भी थोड़ा कमजोर बना हुआ है। हमें बुनियादी ढांचे की कमी को भी दूर करने की जरूरत है, जिसने हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। साथ ही लॉजिस्टिक लागत पर भी ध्यान देने की जरूरत है जो बहुत अधिक है और इसे केवल सार्वजनिक पूंजी व्यय में वृद्धि से ही पूरा किया जा सकता है।’’
कुमार ने कहा कि कर-से-जीडीपी अनुपात में महत्वपूर्ण सुधार से बढ़ता पूंजीगत व्यय अब भी वित्त मंत्री को राजकोषीय समेकन के लिए आसान मार्ग बनाए रखने में सक्षम बनाएगा, जिसकी घोषणा पिछले साल की गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘ तो मुझे लगता है कि दोनों को हासिल किया जा सकता है।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करेंगी। आम चुनाव से पहले अप्रैल-जुलाई अवधि के खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा अंतरिम बजट पेश किया जाता।
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